अनहोनी बताकर नहीं आती. ऐसे में अपने परिवार और खुद पर निर्भर लोगों के भविष्य की चिंता स्वाभाविक है. इस चिंता को जीवन बीमा (Life Insurance) कुछ हद तक दूर करने में मददगार है. भारत में 8 तरह की लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी उपलब्ध हैं. बीमा कराने वाला अपनी जरूरत के मुताबिक अपने लिए पॉलिसी का चुनाव कर सकता है. आइए जानते हैं जीवन बीमा पॉलिसी के प्रकारः
1. टर्म इंश्योरेंस प्लान
यह प्लान एक निश्चित समय के लिए खरीदा जा सकता है, ऐसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में मैच्योरिटी बेनेफिट नहीं होता. टर्म इंश्योरेंस में पॉलिसी टर्म के दौरान पॉलिसी धारक की मृत्यु होने पर सम एश्योर्ड यानी एक तय रकम बेनेफिशियरी को दी जाती है.
2. मनीबैक इंश्योरेंस पॉलिसी
इस पॉलिसी में बोनस के साथ सम एश्योर्ड पॉलिसी टर्म के दौरान ही किस्तों में वापस किया जाता है. पॉलिसी खत्म होने पर आखिरी किस्त मिलती है. पॉलिसी टर्म के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है तो पूरा सम एश्योर्ड लाभार्थी को मिलता है.
3. एंडोवमेंट पॉलिसी
इस तरह की लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में बीमा और निवेश दोनों होते हैं. इस पॉलिसी में एक निश्चित अवधि के लिए रिस्क कवर होता है और उस अवधि के खत्म होने बोनस के साथ सम एश्योर्ड पॉलिसीधारक को वापस किया जाता है.
4. सेविंग्स एंड इन्वेस्टमेंट प्लान्स
यह प्लान बीमा लेने वाले और उसके परिवार को भविष्य के खर्चों के लिए एकमुश्त फंड का भरोसा दिलाता है. इस प्रकार की लाइफ इंश्योरेंस कैटेगरी में ट्रेडिशनल और यूनिल लिंक्ड दोनों तरह के प्लान्स कवर होते हैं.
5. यूलिप
इस प्लान में भी प्रोटेक्शन और निवेश दोनों रहते हैं लेकिन यूलिप में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती है. इसकी वजह है कि यूलिप में निवेश वाले हिस्से को बॉन्ड और शेयर में लगाया जाता है और म्यूचुअल फंड की तरह आपको यूनिट मिल जाती हैं.
6. आजीवन लाइफ इंश्योरेंस
इस में आपको जीवनभर प्रोटेक्शन मिलता है. पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर, नॉमिनी को बीमा का क्लेम मिलता है. इसके तहत पॉलिसीधारक की मौत 95 साल की उम्र में ही क्यों न हुई हो, नॉमिनी क्लेम कर सकता है.
7. चाइल्ड इंश्योरेंस पॉलिसी
इस प्लान में पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद एकमुश्त रकम का भुगतान किया जाता है, लेकिन पॉलिसी खत्म नहीं होती है. भविष्य के सारे प्रीमियम माफ कर दिए जाते हैं. बच्चे को एक निश्चित अवधि तक पैसा मिलता है.
8. रिटायरमेंट प्लान
इस प्लान में लाइफ इंश्योरेंस कवर नहीं मिलता है. इसके तहत आप अपने रिस्क का आकलन कर एक रिटायरमेंट फंड बना सकते हैं. तय की गई एक अवधि के बाद आपको या आपके बाद नॉमिनी को पेंशन के तौर पर एक निश्चित रकम का भुगतान किया जाएगा जो मासिक, छमाही या सालाना आधार पर हो सकता है.