काला धन देश की राजनीति के लिहाज से जितना चर्चित मुद्दा है, अर्थव्यवस्था की सेहत के लिहाज से उतना ही नाजुक विषय भी है. मोदी सरकार काले धन पर लगाम लगाने के लिए पहले से ही जुटी हुई, अब सरकार ने विदेश में प्रॉपर्टी के तौर पर काला धन खपाने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाने की चेतावनी दी है. इस सिलसिले में इनकम टैक्स अधिकारी स्विट्जरलैंड और पुर्तगाल में संपत्ति रखने वाले अमीर भारतीयों की तलाश में जुटे हैं.
काले धन यानी ब्लैक मनी पर पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है. दूसरी तरफ हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNI) की विदेश में रखी गई अचल संपत्तियों पर भी शिकंजा कसने के लिए इनकम टैक्स विभाग ने उनके विदेशी रियल एस्टेट निवेश की जांच शुरू कर दी है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में अब तक हजारों नोटिस जारी किए जा चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक इनकम टैक्स अधिकारियों ने नोटिस जारी करने के बाद सर्वे भी किया है, जिससे पता चला है कि खासतौर पर स्विट्जरलैंड और पुर्तगाल में भारतीय एचएनआई ने रियल एस्टेट में भारी निवेश किया है, क्योंकि पश्चिमी यूरोप में पुर्तगाल रियल एस्टेट निवेश के लिहाज से सबसे ज्यादा मांग वाले देशों में शामिल है.
पुर्तगाल में क्यों बढ़ी भारतीय अमीरों की दिलचस्पी?
गोल्डन वीजा कार्यक्रम की पात्रता हासिल करने के लिए बड़ी संख्या में भारतीयों सहित गैर-यूरोपीय निवेशक पुर्तगाल में जमीन या दूसरी अचल संपत्तियां खरीद रहे हैं. पुर्तगाल में कहीं भी रियल एस्टेट में 5 लाख यूरो का निवेश कर इस कार्यक्रम की पात्रता हासिल कर सकते हैं. वहीं, आवासीय या वाणिज्यिक रियल एस्टेट पुनर्वास परियोजनाओं में न्यूनतम 3.50 लाख यूरो का निवेश कर पात्रता हासिल की जा सकती है.
क्या है पुर्तगाल का गोल्डन वीजा प्रोग्राम?
पुर्तगाल सरकार की तरफ से देश में विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए गोल्डन वीजा कार्यक्रम शुरू किया है. असल में यह 27 देशों के समूह यूरोपीय संघ से बाहर के नागरिकों को बिना वीजा के पांच साल तक पुर्तगाल में रहने, काम करने और पढ़ने का परमिट है. इसके अलावा इस कार्यक्रम के तहत शेंगेन क्षेत्र के भीतर वीजा-मुक्त आवाजाही की अनुमति भी मिलती है. इसे पुर्तगाल गोल्डन रेसिडेंस परमिट कार्यक्रम के रूप में भी जाना जाता है.
कौन है इनकम टैक्स के निशाने पर?
सूत्रों के मुताबिक अघोषित विदेशी संपत्तियों और इन संपत्तियों से अर्जित आय को छिपाने वालों को खासतौर पर दबोचने के प्रयास किए जा रहे हैं. सरकार ने आयकर अधिनियम की धारा 133(ए) और धारा 133(6) के तहत एचएनआई से उनके पास विदेश में मौजूद रियल एस्टेट संपत्तियों के बारे में पूरी जानकारी मांगी है.
नहीं दी जानकारी तो भुगतने होंगे नतीजे
धारा 133 (ए) के तहत जारी नोटिस का अगर कोई जवाब नहीं देता है या जानकारी संतोषजनक नहीं लगती है, तो इनकम टैक्स अधिकारी नोटिस देने के बाद घर, दफ्तर या किसी भी परिसर में घुसकर तलाशी ले सकते हैं और दस्तावेज व जरूरी लगने वाली किसी भी वस्तु को जब्त कर सकते हैं. वहीं, धारा 133 (6) के तहत किसी भी व्यक्ति को समन भेजकर उससे टैक्स रिटर्न के संबंध में जानकारी या साक्ष्य मांगे जा सकते हैं.
इन कारणों से भारत से बाहर निवेश कर रहे एचएनआई
इनकम टैक्स के सर्वे और जांचों में कई दिलचस्प रुझान सामने आए हैं. पहला बड़ा कारण भारत की तुलना में विदेश में एक जैसी संपत्ति का सस्ता होना है. दूसरा, देश में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की आवक के बाद कई पुराने व्यापारिक घरानों ने अपनी कारोबारी हिस्सेदारी इन कंपनियों को बेच दी है, जिससे इनके पास बड़ी मात्रा में धन जमा हो गया है, जिसे वे कम टैक्स लगने के लालच में विदेश में खपा रहे हैं। तीसरा बड़ा कारण एचएनआई के पास बढ़ता धन है, जिससे वे भारत के साथ ही दूसरे देशों में निवेश और आकर्षक रिटर्न का लाभ लेना चाहते हैं.
अमीरों में मची है भगदड़
इनकम टैक्स विभाग की तरफ से जब से एचएनआई को नोटिस भेजे हैं, उनमें भगदड़ मची है और एचएनआई ने भारत छोड़कर भागना तेज कर दिया है. हालांकि, अल्टीमेट बेनिफिशियल ओनरशिप (यूबीओ) नियमों के वैश्विक क्रियान्वयन और एचएसबीसी, पनामा और पैराडाइज पेपर्स जैसे प्रक्ररणों के बाद विदेश में संपत्तियों को छिपाए रखना मुश्किल हो गया है.
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