युवाओं को नहीं पसंद सामान्य नौकरियां, AI और साइबर सिक्योरिटी को दे रहे तरजीह
‘क्वेस्ट रिपोर्ट 2024’ में सपनों, करियर और आकांक्षाओं पर जेन-जेड के रुझानों के बारे में बताया गया है. जेन-जेड का मतलब वर्ष 1995 और 2010 के बीच पैदा हुए लोगों से है.
देश के हर चौथे जेन-जेड युवा का झुकाव एआई, साइबर सुरक्षा और कंटेंट निर्माण जैसे नए जमाने की नौकरियों की तरफ है. देश के 43 फीसद युवा अपने करियर में सफल होने के लिए काम और जिंदगी के बीच का संतुलन त्यागने को भी तैयार हैं. एक ताजा रिपोर्ट ‘क्वेस्ट रिपोर्ट 2024’ में यह बात सामने आई है. जेन-जेड का मतलब वर्ष 1995 और 2010 के बीच पैदा हुए लोगों से है.
क्वेस्ट रिपोर्ट 2024 में क्या?
‘क्वेस्ट रिपोर्ट 2024’ में सपनों, करियर और आकांक्षाओं पर जेन-जेड के रुझानों के बारे में बताया गया है. इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि सिर्फ 9 फीसद उत्तरदाता ही एंटरप्रेनरशिप की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं क्योंकि वे काम और जिंदगी के बीच स्थिरता और सुरक्षा को अहमियत देते हैं.
AI की तरफ आकर्षित जेन-जेड
साइबरमीडिया रिसर्च के सहयोग से स्मार्टफोन ब्रांड आईक्यू द्वारा कराए गए अध्ययन के मुताबिक, हर चार में से एक भारतीय उत्तरदाता सामग्री (कंटेंट) निर्माण, डेटा विश्लेषण, एआई और साइबर सुरक्षा जैसे नए जमाने के कार्यक्षेत्र की ओर अधिक झुकाव रखता है.
क्या कहते हैं युवा?
रिपोर्ट कहती है कि भारत में 43 फीसद और वैश्विक स्तर पर 46 फीसद उत्तरदाता अपने करियर में सफल होने के लिए काम और जिंदगी के बीच का संतुलन त्यागने को भी तैयार हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि लगभग 62 फीसद भारतीय युवा अपने सपनों को हासिल करने के लिए शौक एवं अन्य रुचियां भी छोड़ सकते हैं.
20-24 वर्ष वालों पर स्टडी
रिपोर्ट कहती है कि 14 घंटे के कार्य दिवस और 70 घंटे के कामकाजी सप्ताह को लेकर छिड़ी बहस ने जेन जेड के बीच काम और निजी जिंदगी के बीच संतुलन पर चर्चा को बढ़ावा दिया है. यह सर्वेक्षण अमेरिका, ब्रिटेन, मलेशिया ब्राजील और भारत समेत सात देशों के 20-24 वर्ष की आयु के 6,700 युवाओं के बीच कराया गया है.
सर्वेक्षण में बड़ी कंपनियां शामिल
सर्वेक्षण में शामिल 19 प्रतिशत भारतीय बड़ी कंपनियों में करियर आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं जबकि 84 फीसद भारतीय युवा अपनी नौकरियों को लक्ष्यों के अनुरूप मानते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में दोगुनी महिलाओं को लगता है कि महिला और पुरुष के आधार पर फर्क उनके सपनों को प्रभावित करता है.