देश में संगठित क्षेत्र में नौकरियां बढ़ी हैं. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने जून में शुद्ध रूप से 19.29 लाख सदस्यों को जोड़ा है. श्रम मंत्रालय ने यह जानकारी दी. आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर शुद्ध रूप से जोड़े गये सदस्यों में बीते साल जून के मुकाबले 7.86 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. मंत्रालय ने कहा कि ईपीएफओ से जुड़ने वाले सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी के कई कारण हैं. इसमें रोजगार के अवसरों में वृद्धि, कर्मचारी लाभों के बारे में बढ़ती जागरूकता और ईपीएफओ के प्रचार-प्रसार कार्यक्रम शामिल हैं.
आंकड़ों से पता चलता है कि जून, 2024 के दौरान लगभग 10.25 लाख नए सदस्य जुड़े. यह मई में जुड़े नये सदस्यों के मुकाबले 4.08 प्रतिशत अधिक है जबकि बीते साल जून के मुकाबले 1.05 प्रतिशत अधिक है. आंकड़ों के अनुसार, इसमें 18-25 आयु वाले युवाओं का दबदबा रहा. यह जून में जुड़े कुल नये सदस्यों का 59.14 प्रतिशत है. यह पहले के रुख के अनुरूप है. जो बताता है कि संगठित कार्यबल में शामिल होने वाले ज्यादातर युवा हैं. खासकर ये वे लोग हैं, जिन्हें पहली बार नौकरी मिली है.
नियमित वेतन पर रखे जाने वाले (पेरोल) कर्मचारियों के आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग 14.15 लाख सदस्य ईपीएफओ से बाहर निकले और बाद में फिर से उससे जुड़े. यह आंकड़ा जून, 2023 की तुलना में सालाना आधार पर 11.79 प्रतिशत अधिक है. ये वे सदस्य हैं, जिन्होंने अपनी नौकरी बदल ली और भविष्य निधि को निकालने के बजाय उसे अपने नये संस्थान में स्थानांतरित करने का विकल्प चुना.
स्त्री-पुरूष के आधार पर आंकड़ों विश्लेषण से पता चलता है कि जून के दौरान जोड़े गए नये सदस्यों में से लगभग 2.98 लाख महिलाएं हैं. यह आंकड़ा बीते वर्ष जून की तुलना में 5.88 प्रतिशत अधिक है. साथ ही, आलोच्य महीने में शुद्ध रूप से 4.28 लाख महिला सदस्यों को इससे जोड़ा गया. यह सालाना आधार पर 8.91 प्रतिशत अधिक है.
पेरोल आंकड़े के राज्य-वार विश्लेषण से पता चलता है कि शुद्ध रूप से सदस्यों में वृद्धि महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात और हरियाणा में सबसे अधिक है. शुद्ध रूप से सदस्यों की वृद्धि में इन राज्यों का योगदान लगभग 61.16 प्रतिशत है.
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