एक सरकारी समिति ने नए वैक्सीन ट्रायल की सिफारिश की है. इस ट्रायल में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और इसके नोजल कोविड वैक्सीन की खुराक का मिश्रण शामिल होगा. फिलहाल इनका मेडिकल ट्रायल चल रहा है. भारत के दवा नियामक (drug regulator) के विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक को फेस 2/3 क्लीनिकल ट्रायल का संचालन करने के लिए कोवैक्सिन और एडिनोवायरल इंट्रानैजल वैक्सीन के ट्रायल की अनुमति दे दी. इस मसले को लेकर सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) की एक अहम बैठक हुई. बैठक के बाद समिति ने स्टडी टाइटल से विनिमेयता (interchangeability) शब्द को हटाकर प्रस्तावित क्लीनिकल ट्रायल के संचालन की अनुमति देने की सिफारिश कर दी है.
भारत बायोटेक का इंट्रानेजल वैक्सीन भारत में परीक्षण से गुजरने वाला पहली कोविड -19 वैक्सीन है. भारत बायोटेक अमेरिका के सेंट लुईस में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी में सिंगल डोज नोजल कोविड -19 वैक्सीन विकसित कर रही है. पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के लिए सिंगल डोज नोजल वैक्सीन सबसे अच्छा विकल्प होगा.
भारत बायोटेक के चेयरमैन कृष्णा एला ने फिक्की कैपिटल मार्केट्स कॉन्फ्रेंस में कहा कि दो टीकों का संयोजन गेम-चेंजर हो सकता है. दो टीकों को मिलाना अधिक प्रभावी होगा, क्योंकि इससे अधिक एंटी बॉडी बनने की उम्मीद है. दुनियाभर में वैक्सीन की खुराक के मिश्रण पर तेजी से काम हो रहा है. भारत एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा स्थानीय रूप से निर्मित कोवैक्सीन और कोविशील्ड को मिलाकर भी एक अध्ययन किया जा रहा है.
कृष्णा एला ने बताया कि नोजल वैक्सीन का उत्पादन आसानी से बढ़ाया जा सकता है. भारत बायोटेक एक महीने में तकरीबन 100 मिलियन खुराक का उत्पादन कर सकती है. भारत बायोटेक अगले ढाई महीनों में इंट्रानेसल कोविड -19 वैक्सीन पर अपने अध्ययन से महत्वपूर्ण जानकारी भी इकठ्ठा कर रहा है.
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