अमेरिकी सरकार ने दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल पर इंटरनेट सर्च बाजार पर अपने दबदबे का गलत फायदा उठाते हुए अपने प्रतिद्वंद्वियों को प्रतिस्पर्द्धा से बाहर करने और सहज नवोन्मेष को बाधित करने का आरोप लगाया है. अमेरिका के न्याय विभाग ने मंगलवार को गूगल के खिलाफ प्रतिस्पर्द्धा-रोधी मुकदमे की सुनवाई शुरू होने के दिन उस पर ये गंभीर आरोप लगाए. इसे अमेरिका में पिछले 25 वर्षों का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्द्धा-रोधी मुकदमा माना जा रहा है.
न्याय विभाग के प्रमुख अभियोजक केनेथ डिंटजर ने कहा, ‘यह मामला इंटरनेट के भविष्य के बारे में है और यह इस बारे में भी है कि गूगल के सर्च इंजन को क्या कभी सार्थक प्रतियोगिता का सामना करना पड़ेगा. गूगल के खिलाफ अभियोग लगाने के साथ ही इस चर्चित मुकदमे की शुरुआत हो गई है. अब अगले दस हफ्तों तक दोनों पक्षों के कानूनी प्रतिनिधि गूगल की प्रतिस्पर्द्धा-रोधी गतिविधियों पर जिरह करेंगे. इस मामले की सुनवाई कर रहे जिला जज अमित मेहता के अगले साल ही कोई फैसला सुनाने की उम्मीद है. अगर वह गूगल को प्रतिस्पर्द्धा-रोधी प्रावधानों का दोषी पाते हैं तो उसके खिलाफ उठाए जाने वाले कदमों को लेकर एक और सुनवाई होगी.
मामले की सुनवाई के दौरान गूगल और उसकी मूल कंपनी अल्फाबेट इंक के शीर्ष अधिकारियों के अलावा दूसरी प्रौद्योगिकी कंपनियों के अधिकारियों को भी गवाही के लिए बुलाए जाने की संभावना है. इनमें गूगल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुंदर पिचाई भी शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा एप्पल के शीर्ष अधिकारी एडी क्यू को भी बुलाया जा सकता है. अमेरिकी सरकार ने तीन साल पहले ट्रंप शासन के दौरान गूगल के खिलाफ प्रतिस्पर्द्धा-रोधी मुकदमा दायर किया था. गूगल पर सर्च इंजन बाजार में अपनी प्रभावी स्थिति का गलत फायदा उठाकर प्रतिद्वंद्वियों को प्रतियोगिता से बाहर कर देने का आरोप लगाया गया था.