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RBI और SBI के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में डिपॉजिट्स बढ़कर 10.6 लाख करोड़ रुपये (प्रोविजनल) पर पहुंच गए हैं.
सरकार को इस बात पर प्राथमिकता देनी चाहिए कि आम जनता को इस मुसीबत की घड़ी में जल्द से जल्द राहत कैसे मिले
फर्जी नोट दशकों से लगातार हर सरकार और रिजर्व बैंक के लिए मुश्किल रहे हैं. ये एक भयंकर समस्या है जो अर्थव्यवस्था को घुन की तरह खा रही है.
कोविड-19 डेथ सर्टिफिकेट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी 24 मई को हुई एक सुनवाई में केंद्र सरकार से पूछा है कि इस पर कोई यूनिफॉर्म पॉलिसी है या नहीं.
इन यूनिकॉर्न्स (unicorn) के फाउंडर्स को ऐसी कंपनी खड़ी करनी चाहिए जो कि समाज को और मजबूत करे. इनका मकसद पैसा कमाकर निकलना नहीं होना चाहिए.
कंपनियों को फिलहाल सादगी या पैसे बचाने के उपायों को ठंडे बस्ते में डाल देना चाहिए. खराब अर्थव्यवस्था कारोबार के लिए भी बुरी होती है.
किसानों को इकट्ठा करने वाले आयोजक और इसे समर्थन देने वाली राजनीतिक पार्टियां दोनों ही कोविड के जरूरी नियमों को उल्लंघन कर रहे हैं.
ये शॉर्ट-टर्म पॉलिसीज हैं जिनका टेन्योर 3.5, 6.5 और 9.5 महीने का है. इन्हें अन्य पॉलिसी की तरह से सालाना पॉलिसी में तब्दील करना होगा.
बिक्री और प्रॉफिट में ऊंची ग्रोथ किसी भी कारोबार के केंद्र में होती है. लेकिन, जब लाखों लोग असहाय हैं, हालात का फायदा उठाना उचित नहीं है.
BSE M-Cap: गुजरे वित्त वर्ष में खोले गए डीमैट खातों की संख्या इससे पिछले 3 वर्षों में खुले कुल डीमैट खातों से भी ज्यादा रही है.