Home >
हर इंसान को जीवन का अधिकार है और बिना किसी भेदभाव के समान व्यवहार का अधिकार है. मौजूदा वक्त में वैक्सीनेशन इसी सिद्धांत पर होना चाहिए.
इतने खराब हालात के बीच महंगाई भी बढ़ने लगी है और आम आदमी की जेब में बची-खुची रकम इसके चलते खत्म हो रही है.
आखिर क्यों सरकार कोविड-19 के इलाज में काम आने वाली इन दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कानूनों का इस्तेमाल नहीं कर रही है.
देश की सहकारी बैंकों में आम लोगों का करीब 5 लाख करोड़ रुपया जमा है. इन बैंकों पर RBI की सख्ती से इस तबके को मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं.
कोविड के दौर में बड़ी तादाद में लोग घर पर ही इलाज करा रहे हैं ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियां इन लोगों के घर पर इलाज का पैसा नहीं दे रही हैं.
बैंकों के फंड्स की लागत घटाने के लिए छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर घटाना जरूरी है, लेकिन इसका कमजोर तबके पर बुरा असर होगा.
तकनीक की दुनिया और AI ने तमाम सहूलियतें दी हैं, लेकिन कंपनियां मार्केटिंग के लिए जिस तरह से इसका इस्तेमाल कर रही हैं उसमें आपकी निजता बेमानी हो गई है.
देश पर कोविड की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे हालात में भी लोगों का अपनी भ्रांतियों की वजह से वैक्सीन से दूरी बनाना चौंकाता है.
कोविड महामारी ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है और ऐसे वक्त पर समाज के हाशिये पर मौजूद तबके की मदद का काम कर रहे हर शख्स को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.
भारत ने कोवीशील्ड की डोज का अंतर बढ़ा दिया है. नेतागिरी चरम पर है और लोगों का भरोसा गिर रहा है. इस वक्त तार्किक नजरिए से काम करने की जरूरत है.