कोरोना वायरस की दूसरी लहर की मार के बीच एक राहत की खबर भी है. देश के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) का मार्केट कैपिटलाइजेशन पहली दफा 3 लाख करोड़ डॉलर के अहम पड़ाव को पार कर गया है.
मार्च 2020 के निचले स्तर के बाद से मार्केट में लगातार तेजी का दौर बना हुआ है. मुश्किल हालात के वक्त भी रिटेल इनवेस्टर्स लगातार मार्केट पर अपना भरोसा कायम किए हुए हैं.
एक अनुमान के मुताबिक, गुजरे वित्त वर्ष में खोले गए डीमैट खातों की संख्या इससे पिछले 3 वर्षों में खुले कुल डीमैट खातों से भी ज्यादा रही है.
लेकिन, रिटेल इनवेस्टर्स की संख्या में इजाफा क्यों हो रहा है? ऐसा जान पड़ता है कि घटती ब्याज दरों के दौर में निवेश के विकल्प सीमित रह गए हैं और इसी वजह से खुदरा निवेश मार्केट में हाथ आजमाने के लिए आगे आ रहे हैं.
इन निवेशकों में से कई तो पहली दफा मार्केट में पैसा लगा रहे हैं. इसके अलावा, टेक्नोलॉजी की वजह से भी इसे बढ़ावा मिल रहा है क्योंकि लोग अब मोबाइल फोन पर आसानी से शेयरों की खरीद-फरोख्त कर पा रहे हैं.
NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) के आंकड़ों से पता चल रहा है कि गुजरे छह वर्षों के दौरान मार्केट में सीधे निवेश में रिटेल भागीदारी बढ़ी है.
इसी अवधि में इंडीविजुअल इनवेस्टर्स की मार्केट हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2015-16 के 33 फीसदी से बढ़कर 45 फीसदी पर पहुंच गई है. इस तरह से इन्होंने FII और पब्लिक और प्राइवेट कॉरपोरेट्स की हिस्सेदारी में गिरावट को बेअसर कर दिया है. इनकी हिस्सेदारी 2019-20 में 39 फीसदी रही है.
BSE सेंसेक्स पिछले साल 24 मार्च के लेवल से करीब 90 फीसदी उछलकर 50,651 पर पहुंच गया है. जबकि NSE निफ्टी इंडेक्स इसी दौरान 95 फीसदी उछलकर 15,198 पर चला गया है.
सीधे शब्दों में कहा जाए तो TINA (there is no alternative) यानी विकल्पहीनता की स्थिति खुदरा निवेशकों को शेयर बाजार की ओर खींच रही है.
इस बात के बड़े आसार हैं कि पाबंदियां हटने के बाद घूमने-फिरने और मौज-मस्ती जैसे कामों पर लोगों का जोरदार खर्च दिखाई दे. इससे जो पैसा शेयर बाजार में आ रहा है वो दूसरे सेक्टरों में जा सकता है.
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