जैसे ही देश में रिकवरी की उम्मीद बनी वैसे ही कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश की अर्थव्यवस्था पर नया घाव किया और लोगों को मुसीबत में डालने का काम किया. करोड़ों लोगों से उनकी आजीविका छिन गई, कई लोगों की आय में कटौती हुई तो वहीं लाखों लोगों के व्यापार को घाटा पहुंचा.
इन सब के अलावा, इलाज पर बढ़ रहा खर्च आम आदमी के लिए हर दिन नई मुसीबत खड़ी कर रहा है. ऐसी परिस्थिति में कोरोना के दौर में जरूरी सामान पर टैक्स रेट घटाकर लाखों लोगों को राहत देने पर चर्चा के लिए जीएसटी काउंसिल (GST Council) की शुक्रवार को बैठक हुई.
पर बैठक के बाद जो निकलकर आया वो सरकार को ढोलमोल रवैया ही था. फिटमेंट कमिटी के सुझावों पर चर्चा के लिए लीगल किमटी से परामर्श के बाद मंत्रियों के समूह का गठन होगा. इस फैसले से आम लोगों को कीमतों कटौती जैसी कोई राहत तुरंत मिलती नहीं दिख रही.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सफाई देते हुए कहा कि जीएसटी काउंसिल आम आदमी की जरूरतों को लेकर संवेदनशील है और ये नहींं सोचना चाहिए कि काउंसिल मानवीय दृष्टिकोण नहीं रखता.
उन्होंने कहा कि इसपर मंथन हुआ है कि अगर टैक्स दरों में कटौती होती है तो उसका फायदा आम लोगों तक पहुंचेगा या नहीं.
इससे फैसलों को अमल पर लाने की भी सवाल खड़ा होता है. संकट से समय, सरकार को उनपर कड़ाई से कार्रवाई करनी चाहिए जो आम जनता तक ऐसे फायदे नहीं पहुंचा रहे. ये सरकार की जिम्मेदारी है कि ऐसे लोगों को एक्शन लिया जाए जो जनता के पैसों से अपना मुनाफा जोड़ने में लगे हैं.
लेकिन, इन सब के बावजूद प्राथमिकता इस बात पर देनी चाहिए कि लोगों को इस मुसीबत की घड़ी में जल्द से जल्द राहत कैसे मिले. मंत्रियों के इस समूह को जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए और सरकार को उसे तुरंत अमल में लाना होगा.
Published - May 29, 2021, 10:01 IST
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।