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सरकार ने पिछले कुछ महीनों में घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए गेहूं और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगाई है.
केंद्र सरकार सभी राज्यों खासकर कर्नाटक और तमिलनाडु की स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है.
भारत ने दलहन के इंपोर्ट के लिए मोजाम्बिक, मालावी और म्यांमार के साथ समझौता किया है.
लम्पी त्वचा रोग (एलएसडी) जैसे रोग की वजह से साल 2022-23 में दूध उत्पादन की ग्रोथ में कमी आई है.
सरकार को अगले कुछ महीनों में चावल की खरीद में हुई कमी की भरपाई का भरोसा है.
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि दिसंबर और मार्च के बीच मसालों की खुदरा महंगाई में 0.6 फीसद की और बढ़ोतरी हो सकती है.
कई जगहों से इस तरह की रिपोर्ट्स आ रही हैं कि चावल की थोक और रिटेल कीमतों में भारी अंतर है और व्यापारी इसका लाभ उठा रहे हैं.
पिछले साल की तुलना में इस साल महाराष्ट्र और कर्नाटक की चीनी मिलों में करीब 10-15 दिन देर से गन्ने की पेराई शुरू हुई है.
अप्रैल-अक्टूबर के दौरान जो कृषि उत्पाद निर्यात हुए हैं उनमें चावल, गेहूं, काजू और ग्वारगम में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है.
किसानों ने सरकार से किन्नू के लिए न्यूनतम मूल्य तय करने की भी मांग की है.