चावल की वजह से कृषि उत्पादों के निर्यात में गिरावट दर्ज की जा रही है. गैर बासमती चावल के निर्यात पर सख्ती की वजह से वित्त वर्ष 2023-24 के शुरुआती 7 महीने यानी अप्रैल से अक्टूबर के दौरान चावल के कुल निर्यात में करीब 21 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. अप्रैल-अक्टूबर के दौरान जो कृषि उत्पाद निर्यात हुए हैं उनमें चावल, गेहूं, काजू और ग्वारगम में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और वाणिज्यिक सतर्कता एवं सांख्यकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएस) के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 के शुरुआती 7 महीने में देश से बासमती चावल के निर्यात में करीब 2 लाख टन की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि गैर बासमती चावल के निर्यात में गिरावट देखने को मिली है.
एपीडा और डीजीसीआईएस के आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान गेहूं के निर्यात में भारी गिरावट दर्ज की गई है. अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में गेहूं का निर्यात 0.79 लाख टन दर्ज किया गया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 46.56 लाख टन का था. मिल्ड प्रोडक्ट्स का निर्यात भी घटकर 1.30 लाख टन दर्ज किया गया है जबकि पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 5.49 लाख टन मिल्ट प्रोडक्ट का निर्यात हुआ था.
गैर बासमती चावल का निर्यात घटा
बता दें कि सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के शिपमेंट पर 20 जुलाई 2023 से प्रतिबंध लगा रखा है जिससे भी निर्यात में गिरावट आई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर 2023 की अवधि के दौरान देश से गैर बासमती चावल का निर्यात 73.18 लाख टन दर्ज किया गया, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में यह आंकड़ा 102.10 लाख टन था. इसी अवधि में गैर बासमती की निर्यात आमदनी भी 3.637 अरब डॉलर से 20.16 फीसद घटकर 2.904 अरब डॉलर रही है.
बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी
वित्त वर्ष 2023-2024 में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान देश से बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 26.08 लाख टन पर पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2022-2023 में अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान 24.10 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया गया था. समीक्षाधीन अवधि के दौरान विदेशी मुद्रा में बासमती चावल की निर्यात आमदनी 2.545 अरब डॉलर से 16.27 फीसद बढ़कर 2.959 अरब डॉलर हो गई. हालांकि कुछ समय के लिए बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन तय किया गया था, लेकिन बाद में इसको घटाकर 950 डॉलर प्रति टन तय कर दिया गया. हालांकि इसके बावजूद बासमती चावल का निर्यात बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ.
चावल के निर्यात पर क्या हैं पाबंदियां?
बता दें कि सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के शिपमेंट पर 20 जुलाई 2023 से प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही सेला (Parboiled) चावल के निर्यात पर लगी 20 फीसद एक्सपोर्ट टैक्स की शर्त को 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया है, पहले यह शर्त 16 अक्टूबर 2023 तक लागू थी. इसके अलावा सरकार ने हाल ही में बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी MEP को घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया है. बता दें कि सितंबर 2022 से सरकार ने चावल के निर्यात पर पाबंदियों की शुरुआत की थी और शुरुआत टूटे हुए चावल (ब्रोकेन राइस) के निर्यात पर रोक से हुई थी.
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