देश में चावल की बढ़ती हुई रिटेल महंगाई को देखते हुए सरकार ने सोमवार को चावल उद्योग के संगठनों से मुलाकात की और सभी संगठनों को चावल की रिटेल कीमतें घटाने की दिशा में कदम उठाने के लिए कहा गया. सरकार ने यह भी साफ किया कि चावल के मुनाफाखोरों के साथ सरकार सख्ती से निपटेगी. सोमवार को केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा की अध्यक्षता में चावल उद्योग के संगठनों के साथ बैठक हुई है, जिसमें उद्योग को यह हिदायत दी गई है. सरकार ने यह भी बताया कि चावल की रिटेल महंगाई 12 फीसद के करीब बनी हुई है जो चिंता का विषय है.
सरकार की तरफ से कहा गया कि इस साल खरीफ चावल का उत्पादन ठीकठाक है, भारतीय खाद्य निगम यानी FCI के पास भी पर्याप्त स्टॉक है, ऊपर से सरकार ने चावल निर्यात पर सख्ती भी की हुई है. लेकिन इन तमाम कारणों के बावजूद चावल महंगा है और इसकी कीमतों को घटाने के लिए चावल उद्योग को अपने स्तर पर कदम उठाने होंगे. चावल संगठनों से कहा गया है कि वह अपने सदस्यों के साथ इस मुद्दे को उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि चावल की रिटेल कीमतों में गिरावट तुरंत दिखे.
सरकार ने बताया कि कई जगहों से इस तरह की रिपोर्ट्स आ रही हैं कि चावल की थोक और रिटेल कीमतों में भारी अंतर है और व्यापारी इसका लाभ उठा रहे हैं. चावल उद्योग को सुझाव दिया गया है कि चावल के वास्तविक रिटेल भाव और अधिकतम रिटेल भाव के बीच अंतर को कम करें और यह सुनिश्चित करें कि उपभोक्ताओं को जायज भाव पर चावल उपलब्ध हो. उपभोक्ता मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि चावल की महंगाई पर सरकार की नजर बनी हुई है और जरूरत पड़ने पर सरकार और कदम उठाएगी. मंत्रालय की तरफ से यह भी कहा गया कि आने वाले दिनों में उपभोक्ता चावल की कीमतों में कमी की उम्मीद कर सकते हैं.
चावल की कीमतों की बात करें तो बीते एक साल के दौरान भाव 14 फीसद से ज्यादा बढ़ा है. दिल्ली में एक साल पहले चावल का औसत भाव 35 रुपए किलो हुआ करता था और अब भाव 40 रुपए प्रति किलो है. कीमतों को कम करने के लिए सरकार ने अपनी तरफ से तमाम कदम उठाए हैं, निर्यात पर अंकुश लगाया है, साथ में खुले बाजार में बिक्री भी बढ़ाई है. लेकिन सरकार के तमाम कदमों के बावजूद चावल की महंगाई लगातार बढ़ रही है. और अब सरकार ने चावल उद्योग पर सख्ती का फैसला किया है.
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