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महाराष्ट्र के प्रमुख लहसुन उत्पादक इलाकों नासिक और पुणे में विपरीत मौसम की वजह से फसल खराब होने के कारण महाराष्ट्र में सप्लाई घट गई है.
विशेषज्ञों के अनुसार पशुचारे की कीमतों में वृद्धि देश में दूध की कीमतें बढ़ने का एक प्रमुख कारण है.
मूल्य के लिहाज से कृषि वस्तुओं का निर्यात सितंबर में घटकर 14,153 करोड़ रुपए रह गया, जो अगस्त में 18,128 करोड़ रुपए था.
साप्ताहिक ई-नीलामी के माध्यम से एफसीआई अबतक 44.6 लाख टन गेहूं थोक उपभोक्ताओं को बेच चुका है.
व्यापारियों एवं थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं भंडारण की सीमा 2,000 टन से घटाकर 1,000 टन किया गया
सरकार ने पीली मटर के आयात को पूरी तरह से शुल्क मुक्त कर दिया है. अभी तक पीली मटर के आयात पर 50 फीसद की ड्यूटी लगती है जिसे अब शून्य कर दिया गया है.
सरकार ने अगस्त में इसके निर्यात पर सख्ती करते हुए एक्सपोर्ट पर 40 फीसद टैक्स लगा दिया था.
घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था
2024 में सीबीओटी पर मक्का, सोयाबीन और गेहूं वायदा के भाव में सालाना आधार पर क्रमश: 9.9 फीसद, 3.9 फीसद और 5.7 फीसद की गिरावट
किसान मौजूदा समय में अपनी फसल को 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल पर बेचने को तैयार हैं लेकिन मिलों की ओर से खरीदारी नहीं हो रही है.