सरकार ने संसद में दलहन आयात को लेकर अपनी मजबूरी बताई है. सरकार ने कहा है कि मौसम की अनिश्चितता की वजह से देश में दलहन उत्पादन में गिरावट देखने को मिली है, जिस वजह से तुअर, उड़द और मसूर आयात को बढ़ावा दिया गया है. उपभोक्ता राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने बुधवार को संसद में पूछे गए लिखित सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि भारत चना और मूंग के मामले में आत्मनिर्भर हो चुका है.
उन्होंने कहा कि हालांकि तुअर, उड़द और मसूर के उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, लेकिन जलवायु संबंधी अनिश्चितताओं की वजह से उत्पादन में उतार-चढ़ाव आया है. उन्होंने कहा कि घरेलू उपभोक्ताओं के लिए सस्ती कीमत पर दालों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए देश को अभी भी तुअर, उड़द और मसूर का आयात करने की जरूरत है. बता दें कि भारत ने दलहन के इंपोर्ट के लिए मोजाम्बिक, मालावी और म्यांमार के साथ समझौता किया है. समझौते के तहत निजी कारोबार के जरिए मोजाम्बिक से 2 लाख टन तुअर और मालावी से 0.50 लाख टन तुअर के आयात किए जाने का प्रावधान है.
वहीं म्यांमार के साथ किए गए समझौते के तहत निजी व्यापार के जरिए 1 लाख टन टन तुअर और 2.5 लाख टन उड़द के आयात का प्रावधान है. दलहन के आयात पर निर्भरता को कम करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत दलहन की बुआई क्षेत्र में बढ़ोतरी का प्रयास किया जाएगा. साथ ही रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि देश में दलहन का उत्पादन बढ़ाया जा सके. अश्विनी चौबे ने कहा कि 2021-22 में 273.02 लाख टन दर्ज किया गया था, जो कि 2018-19 के 220.76 लाख टन उत्पादन से ज्यादा था. उन्होंने कहा कि दलहन उत्पादन में बढ़ोतरी का आंकड़ा सरकार द्वारा की गई पहल का प्रमाण है.