Health Insurance: जब हेल्थ इंश्योरेंस की बात आती है, इसमें दो ऑप्शन उपलब्ध होते हैं. पहला व्यक्तिगत हेल्थ प्लान और दूसरा फैमिली फ्लोटर पॉलिसी.
पॉलिसी खरीदने के बाद से लेकर जब तक आप बीमा कंपनी से कोई लाभ का क्लेम नहीं कर सकते, उस अवधि को एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का वेटिंग पीरियड कहा जाता है.
लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर सेक्शन 80C और सेक्शन 80D के तहत टैक्स छूट मिल जाएगी.
अधिकतर लोग अपनी जरूरत को समझे बिना ही हेल्थ इंश्योरेंस खरीद लेते हैं. या तो वे कम कवरेज लेते हैं या फिर बहुत ज्यादा ले लेते हैं.
जब हेल्थ इंश्योरेंस की बात आती है इसमें दो ऑप्शन उपलब्ध होते हैं. पहला व्यक्तिगत हेल्थ प्लान और दूसरा फैमिली फ्लोटर पॉलिसी.
Aarogya Sanjeevani Policy: IRDAI ने पिछले साल सभी इंश्योरेंस कंपनियों को आरोग्य संजीवनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ऑफर करने का निर्देश दिया था.
इंश्योरेंस कंपनियां आमतौर पर आवेदक के स्थायी पते के प्रमाण की भी मांग करते हैं. उसी नियम का पालन करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज जमा किए जा सकते हैं.
हममें से ज्यादातर लोग टैक्स लाभ के लिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते हैं. यह सही दृष्टिकोण नहीं है क्योंकि हम अक्सर जरूरी कवरेज की अनदेखी करते हैं.
कई लोग म्यूचुअल फंड या स्टॉक या FD के निवेश को उपलब्धि मानते हैं, लेकिन मौजूदा वक्त में इनके अलावा भी कई चीजों का ध्यान रखना जरूरी है.
Cancer Insurance Plans: LIC के अलावा HDFC Life, ICICI Pru, Max Life और SBI Life जैसी बीमा कंपनियां कैंसर के लिए प्लान्स ऑफर करती हैं.