22 मार्च के बाद बीते 16 दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुके हैं. सीएनजी भी मार्च से लेकर अबतक 12.50 रुपए किलो महंगी हो चुकी है
हो सकता है कि आपके जेहन में ये सवाल आए कि कच्चे तेल के दाम आखिर बढ़ क्यों रहे हैं? इसके दो जवाब हैं. पहला अंतरराष्ट्रीय बाजार में जारी उठापटक.
मुंबई में पेट्रोल के भाव 120.47 रुपए प्रति लीटर और डीजल 104.72 रुपए प्रति लीटर हैं. पेट्रोल डीजल का शतक कमोवेश हर शहर में लग चुका है.
बैंक ने शिकायत मिलने के एक महीने के भीतर उसका जवाब नहीं दिया हो, या शिकायत खारिज कर दी हो या फिर आप बैंक के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं.
तो बात ये है कि भले ही सरकार की डिसइन्वेस्टमेंट की प्रोग्रामिंग परवान नहीं चढ़ पा रही है. लेकिन, अब उसने जमीनें बेचकर कमाई का पुख्ता प्लान बना लिया है
कई रिफाइंड तेलों में मिलावट के लिए इसका इस्तेमाल जो होता है और देश में जितना खाने का तेल खपत होता है. उसमें लगभग रिफाइंड की हिस्सेदारी 90 फीसद है.
कमोडिटी कीमतें इस जंग के पहले से ऊपर चढ़ने लगी थीं. अब इनमें और तेजी आ गई है. महंगाई की एक वजह, क्रूड यानी कच्चे तेल के दामों में लगी आग है.
हाल में आक्रामक बिकवाली देखने के बाद अब बैंकिंग सेक्टर में भी खरीदारी देखी जा सकती है. इन सबकी वजह से FPI का रुख पॉजिटिव होगा.
Capital Adequacy Ratio किसी एक बैंक की उपलब्ध कैपिटल (पूंजी) और जोखिम का रेशियो है. इसे Capital to Risk (Weighted) Assets Ratio या CRAR भी कहते हैं.
टियर-2 कैपिटल में रीवैल्यूएशन रिजर्व, हाइब्रिड कैपिटल इंस्ट्रूमेंट्स एंड सबऑर्डिनेटेड टर्म डेट, जनरल लोन-लॉस रिजर्व, अनडिसक्लोज्ड रिजर्व शामिल होते है