भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़ी दो रिपोर्ट्स एक ही दिन बाजार में गिरीं. पहली ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल की जिसमें निफ्टी के 19000 पहुंचने का अनुमान था और दूसरी रिपोर्ट घरेलू रेटिंग एजेंसी ICRA की जिसमें वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान 8% से घटाकर 7.2% कर दिया गया. पहली नजर में ये आकलन आपको विरोधावासी लग रहे हैं तो बाजार का पिछले साल का प्रदर्शन सामने है.
पिछले वित्त वर्ष की शुरुआत कोविड की दूसरी लहर के चरम बिंदु से हुई थी और अंत जिओ पॉलिटिकल टेंशन, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, तपते मेटल और उबलते क्रूड के साथ हुआ, लेकिन इन तमाम खराब खबरों के बाद भी वित्त वर्ष 2022 में शेयर बाजार के निवेशकों ने जबरदस्त कमाई की. इस दौरान शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया. निफ्टी ने सालभर में 19% और सेंसेक्स ने 18% का रिटर्न दिया.
शेयर बाजार की शानदार तेजी में निवेशकों ने 59.75 लाख करोड़ रुपए की कमाई की. इस दौरान BSE में लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप एक साल पहले के मुकाबले 29% बढ़कर करीब 264 लाख 6 हजार 501करोड़ रुपए हो गया. इस रिकॉर्ड वैल्यूएशन की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी FPI की तरफ से भारी मुनाफावसूली की भी. पूरे 12 महीने के दौरान उन्होंने भारतीय बाजार से करीब 2.1 लाख करोड़ रुपए बाहर निकाल लिए.
तो क्या इस साल भी बाजार दौड़ लगाएंगे?
वित्त वर्ष 2023 की भी शुरुआत एक चुनौतीपूर्ण माहौल में हो रही है. एक तरफ रूस और यूक्रेन के बीच जंग, कच्चे तेल में उबाल, कमोडिटी की कीमतों मे तेजी तो दूसरी तरफ कमजोर रुपया और ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना है… इन कारणों से अगली तिमाहियों में कंपनियों के मुनाफे पर दबाव बढ़ेगा.
इसी तरह कीमतें अगर एक सीमा से ज्यादा बढ़ीं तो मांग पर चोट पहुंचेगी और इससे पूरे ग्रोथ पर जोखिम बढ़ेगा. इक्रा ने अपने अनुमान में कहा है कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच बढ़ती ईंधन और कमोडिटी की कीमतों से घरेलू मांग प्रभावित हो सकती है. अब समझिए Emkay के विशेषज्ञ बाजार में कौन से आंकड़े पढ़ रहे हैं. क्योंकि आपके मन में भी ये सवाल उठेगा कि सुस्त होती अर्थव्यवस्था में आखिर बाजार किस तरह से तेजी हासिल कर सकता है?
असल में निफ्टी के कुल प्रॉफिट का 70 फीसद हिस्सा चार बड़े सेक्टर्स से आता है- बैंक, तेल एवं गैस, आईटी सर्विसेज और मेटल/माइनिंग. बैंकों के अलावा अन्य तीन सेक्टर की कमाई में बढ़त की संभावना है, क्योंकि कमोडिटी की कीमतें बढ़ रही हैं और रुपया कमजोर हो रहा है. ये सेक्टर्स निर्यात आधारित हैं.
ब्रोकरेज हाउस Emkay Global ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘वित्त वर्ष 2022 में Nifty-50 का PAT यानी कर बाद मुनाफा 1 लाख 80 हजार 200 करोड़ रुपए बढ़कर 6 लाख 04 हजार 800 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है. इस बढ़त का नेतृत्व टाटा स्टील, JSW स्टील, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ONGC, SBI और एयरटेल जैसी कंपनियां करेंगी. Nifty-50 के PAT बढ़त में दो-तिहाई योगदान इन कंपनियों का ही होगा. इसी हिसाब से देखें तो वित्त वर्ष 2023 में Nifty-50 का PAT 1 लाख 24 हजार 600 करोड़ रुपए की बढ़त के साथ 7 लाख 29 हजार 400 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के वाइस प्रेसिडेंट और रिटेल रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि FPI की बिकवाली की रफ्तार घटी है. इसके अलावा हायर बेस पर ग्रोथ की रफ्तार भी सुस्त पड़ी है. FMCG, IT जैसे सेक्टर्स में वैल्यू आधारित खरीदारी के अवसर हासिल होंगे. इन सेक्टर ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है.
हाल में आक्रामक बिकवाली देखने के बाद अब बैंकिंग सेक्टर में भी खरीदारी देखी जा सकती है. इन सबकी वजह से FPI का रुख पॉजिटिव होगा, लेकिन वे कितने आक्रामक खरीदार रहते हैं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि जंग, कमोडिटी कीमतों और कमाई के मामले में हालात किस तरह से बदलते हैं.