बैंक की कुल कैपिटल या पूंजी मुख्य रूप से टियर-1 और टियर-2 कैपिटल को जोड़कर पता चलती है. टियर-1 कैपिटल किसी भी बैंक की प्राइमरी फंडिंग का जरिया होता है. इसमें शेयरहोल्डर्स इक्विटी और और बचे हुए मुनाफे शामिल होते हैं. ये बैंक के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में बताई जाती है और बैंक की वित्तीय सेहत के बारे में बताती है. इस पूंजी का इस्तेमाल बिना कारोबार पर असर डाले किसी भी तरह के घाटे को झेलने में किया जाता है. टियर-2 कैपिटल में रीवैल्यूएशन रिजर्व, हाइब्रिड कैपिटल इंस्ट्रूमेंट्स एंड सबऑर्डिनेटेड टर्म डेट, जनरल लोन-लॉस रिजर्व और अनडिसक्लोज्ड रिजर्व शामिल होते हैं.
इसे सप्लीमेंटरी कैपिटल के रूप में भी जाना जाता है जो बैंक के आवश्यक रिजर्व के तौर पर रखे जाते हैं. टियर-1 कैपिटल की तुलना में टियर-2 कैपिटल कम भरोसेमंद होता है क्योंकि टियर-1 कैपिटल की तुलना में इसे कैलकुलेट करना और लिक्विडेट करना ज्यादा मुश्किल होता है. टियर-2 कैपिटल बैंक के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में नहीं बताई जाती है.