Capital Adequacy Ratio किसी एक बैंक की उपलब्ध कैपिटल (पूंजी) और जोखिम का रेशियो है. इसे Capital to Risk (Weighted) Assets Ratio या CRAR भी कहते हैं. दूसरे शब्दों, में ये बैंक के risk-weighted एसेट्स और मौजूदा देनदारियों का अनुपात है. गुरु ये भी बताते हैं कि इस रेशियो का इस्तेमाल डिपॉजिटर्स को सुरक्षित करने में होता है और ये फाइनेंशियल सिस्टम की स्थिरता, कार्यक्षमता को बढ़ावा देती है. चलिए अब इसे कैलकुलेट करना भी सीख लेते हैं. इसे कैलकुलेट करने के लिए टियर-1 और टियर-2 कैपिटल को जोड़कर risk-weighted एसेट्स से भाग दिया जाता है.
CAR = (टियर-1 + टियर-2 कैपिटल)/risk weighted एसेट्स (RWA)
OR
CAR = कुल कैपिटल / RWA
गुरु कहते हैं कि ऊंचे CAR वाले बैंक को दिवालिया घोषित होने के लिए आवश्यक न्यूनतम आवश्यकताओं से ऊपर माना जाता है. इसलिए किसी बैंक का CAR जितना ज्यादा होगा, उतनी ही वित्तीय मंदी या दूसरे नुकसानों का सामना करने में बैंक उतना ही काबिल होगा. गुरु ये भी कहते हैं कि ये रेशियो क्रेडिट और ऑपरेशनल रिस्क से निपटने के लिए बैंकों को तैयार भी करता है.
इस रेशियो का मकसद ये कायम करना है कि दिवालिया होने के हालात हों उससे पहले ही किसी एक बैंक के पास एक निश्चित राशि के घाटे को संभालने के लिए पर्याप्त पूंजी हो. माने ये रेशियो किसी एक बैंक के घाटा सहने की क्षमता को भी दिखाता है. बैंकों को अतिरिक्त कर्ज लेने और इस प्रक्रिया में दिवालिया होने से रोकने के लिए रिजर्व बैंक या RBI CAR दर तय करता है.