National Monetisation: भारत सरकार ने हर साल तकरीबन 6,600 किलोमीटर राजमार्गों के मॉनेटाइजेशन करने का फैसला किया है. राजमार्गों के मॉनेटाइजेशन का काम सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की देखरेख में किया जाएगा. नेशनल मॉनेटाइजेशन योजना (National Monetisation Pipeline) के तहत मंत्रालय ने यह फैसला किया है. सभी मौजूदा सड़क परियोजनाओं और आगामी अनुबंधों (contracts)को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा. योजना के दस्तावेजों के मुताबिक नीति आयोग द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण में मौजूदा परिचालन राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) संपत्ति और नई राष्ट्रीय राजमार्ग सड़कें शामिल हैं जिनका निर्माण और संचालन अगले चार वर्षों में किया गया है.
वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक मॉनेटाइजेशन के लिए मापी गई संपत्तियों की कुल लंबाई 26,700 किलोमीटर है. यह पहले से ही चालू चार लेन वाले राजमार्गों और उससे ऊपर की लंबाई पर आधारित है.
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत प्रदान की गई बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी) परियोजनाओं को फिलहाल इससे बाहर रखा गया है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि एनएमपी के तहत पेश की जाने वाली ब्राउनफील्ड और ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के मिश्रण से इस क्षेत्र में निवेशकों का विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी.
मॉनेटाइजेशन के लिए संपत्तियों का कुल सांकेतिक मॉनेटाइजेशन मूल्य वित्त वर्ष 2022 से 2025 तक तक 1.6 ट्रिलियन रुपए होने का अनुमान है.
सड़क क्षेत्र के लिए संभावित संपत्ति में कुल राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क की लंबाई शामिल है, जिसका अनुमान 20 दिसंबर, 2020 तक लगभग 136,155 किमी है.
एक्सपर्ट्स यह भी मानते है कि इन्वेस्टर्स भविष्य की परियोजनाओं में इन्वेस्ट करने के इच्छुक है, इससे पता चलता है कि आने वाले समय में काफी इन्वेस्ट होगा.
दो दिन पहले ही वित्त मंत्री ने 6 लाख करोड़ रुपये की मॉनेटाइजेशन योजना की घोषणा की थी. योजना के तहत सरकार वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक इन संपत्तियों का मॉनेटाइजेशन करेगी.
इस योजना में 12 मंत्रालयों और उनके विभागों की 20 तरह की संपत्तियां शामिल की गई हैं. निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रीय मॉनेटाइजेशन योजना के शुभारंभ के बाद कहा था कि मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन को कामयाब बनाने को लेकर सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
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