ग्रामीण खपत में सुधार के साथ समग्र मांग की स्थिति बेहतर हो रही है और इससे निजी क्षेत्र के निवेश के दोबारा रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नवीनतम बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में यह बात कही गई है.
आरबीआई बुलेटिन में प्रकाशित लेख के मुताबिक, लगातार भू-राजनीतिक तनाव, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंकाओं के दोबारा पैदा होने और मौद्रिक नीति बदलाव के चलते वित्तीय बाजार में अस्थिरता ने वैश्विक आर्थिक संभावनाओं को प्रभावित किया है. विभिन्न देशों में महंगाई के उम्मीद के अनुसार कम न होने से ऐसा हुआ है.
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा के नेतृत्व वाली एक टीम ने ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ शीर्षक वाला एक लेख लिखा है. हालांकि, आरबीआई ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.
इस लेख के मुताबिक, भारत में आय बढ़ने से ग्रामीण खपत में सुधार के साथ कुल मांग की स्थिति में भी तेजी आ रही है. मांग को बढ़ावा देने से कुल निवेश में निजी क्षेत्र की अबतक की धीमी भागीदारी भी फिर से जोर पकड़ सकती है.
लेख में कहा गया है कि कोर इंफ्लेशन जून के अपने चरम से घटकर जुलाई में 3.5 प्रतिशत पर आ गई लेकिन ऐसा मुख्य रूप से आधार प्रभावों के सांख्यिकीय दबाव के कारण हुआ.