भारत में रसोई गैस की कीमतें बढ़ गई है. 1 सितंबर, 2021 को 25 रुपये की बढ़ोतरी के बाद राष्ट्रीय राजधानी में 14.2 किलोग्राम का सिलेंडर 885 रुपये में मिल रहा है. देश में LPG के दाम मई 2020 से 300 रुपये से अधिक बढ़ गए हैं. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी निश्चित तौर पर इसकी वजह रही है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, ब्रेंट क्रूड वायदा मई 2020 के निचले स्तर 21.44 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर अगस्त 2021 के अंत में 72.7 डॉलर प्रति बैरल हो गया है.
भारतीय परिवारों को इस तरह की बढ़ोतरी से बचाने के लिए, सरकार उपभोक्ताओं के लिए रसोई गैस पर सब्सिडी देती है, ताकि अस्थिरता को कम किया जा सके और उनके लिए कीमतें स्थिर रखी जा सकें. लेकिन मई 2020 के बाद से, देश में LPG का उपयोग करने वाले 290 मिलियन घरों को LPG खरीदने पर उपभोक्ता सब्सिडी नहीं मिल रही है. इसके बंद होने की कोई आधिकारिक सूचना तो नहीं दी गई है, लेकिन सब्सिडी जमा भी नहीं की गई है. सब्सिडी नहीं देने से सरकार ने बहुत सारा पैसा बचाया होगा. लेकिन सवाल उठता है कि कितना?
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने LPG सब्सिडी न देकर, महामारी शुरू होने के बाद से लगभग 27,000 करोड़ रुपये की बचत की होगी. अप्रैल और मई 2020 में सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत 600 रुपये के करीब थी. अगर सरकार अभी भी सब्सिडी देना जारी रखती है तो 885 रुपये के मौजूदा बाजार मूल्य पर, एक उपभोक्ता को प्रति रिफिल खरीद पर 285 रुपये की सब्सिडी मिल सकती थी.
भारत एक महीने में करीब 145 मिलियन LPG सिलेंडर की खपत करता है. दूसरे शब्दों में, एक औसत उपभोक्ता परिवार को हर दो महीने में एक सिलेंडर की आवश्यकता होती है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल द्वारा उपलब्ध कराए गए मासिक डेटा और भारत की संसद से मिले डेटा से यह पता चलता है कि अगर हम सब्सिडी वाले सिलेंडर के लिए 600 रुपये का कॉन्सटेंट प्राइज मान लें तो मासिक बचत 27,255 करोड़ रुपये तक बढ़ जाती है. अगर हम इसे 650 रुपये प्रति सिलेंडर मान लें, तो सब्सिडी बचत 20,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जाती है.
2021-22 के केंद्रीय बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित LPG सब्सिडी का खर्च 14,073 करोड़ रुपये रखा गया है, जो 2020-21 में खर्च किए गए 36,178 करोड़ रुपये के प्रोविजनल अमाउंट से काफी कम है. इससे पता चलता है कि सरकार की मंशा LPG सब्सिडी पर कम से कम खर्च करने की है.
अप्रैल 2014 में, सरकार ने एक LPG सिलेंडर पर सब्सिडी के रूप में 567 रुपये का भुगतान किया था. भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली नई सरकार के सत्ता में आने के महीनों बाद तेल की कीमतें गिरने लगीं. तेल की कम कीमतों के कारण सब्सिडी कंपोनेंट 2016 में 100 रुपये प्रति सिलेंडर से नीचे चला गया था.
2018 में सब्सिडी का भुगतान फिर से बढ़ा, जब तेल की कीमतों के बढ़ने के संकेत मिले. उस साल नवंबर में, भारत सरकार ने एक सिलेंडर पर सब्सिडी के रूप में 434 रुपये का भुगतान किया. सिलेंडर की कीमत 941 रुपये थी. उपभोक्ता के लिए कीमत सब्सिडी के बाद प्रति रिफिल 506 रुपये की थी.
महामारी के आने से ठीक पहले मार्च 2020 में, प्रति सिलेंडर सब्सिडी 231 रुपये थी. बाजार मूल्य 806 रुपये था, और उपभोक्ता ने सब्सिडी वाले सिलेंडर के लिए 575 रुपये का भुगतान किया.
महामारी के आने के साथ ही क्रूड ऑयल के दामों में भारी गिरावट देखने को मिली. इससे नवंबर 2020 तक सिलेंडर के दाम 600 रुपये के करीब रहे. इस स्थिति में सब्सिडी देने की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि सिलेंडर का बाजार मूल्य सब्सिडी वाले सिलेंडर के प्रभावी मूल्य के करीब था.
कीमत दिसंबर 2020 से बढ़ रही हैं, और सितंबर 2021 में दिल्ली में 885 रुपये तक पहुंच गई हैं. पिछली बार जब एक LPG सिलेंडर की कीमत इतनी अधिक थी, तो सरकार ने प्रति उपभोक्ता प्रति रिफिल 377 रुपये से अधिक का भुगतान किया था.
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