फ्यूल की महंगाई ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) की जरूरत और देश में मोबिलिटी के भविष्य को लेकर सोचने पर मजबूर किया है. ओला की इलेक्ट्रिक स्कूटर को बढ़िया रिस्पॉन्स मिला है. कंपनी के सीईओ भाविश अग्रवाल का कहना कि कंपनी अब 2023 तक इलेक्ट्रिक कार लाने की तैयारी में जुट गई है. इससे पता चलता है कि देश में सेगमेंट के भविष्य को लेकर कंपनियों का भरोसा बढ़ता जा रहा है.
गाड़ी खरीदने वालों को समझना होगा कि EV खरीदने में भले कुछ अधिक जेब ढीली करनी पड़ी, मगर लॉन्ग-टर्म में यह उनके लिए फायदे का सौदा होने वाला है. कंपनियों और सेगमेंट से जुड़े अन्य स्टेकहोल्डर्स को भी इसका लाभ मिलेगा. पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से निजात पाना है तो उन्हें मानना होगा कि EV बेहतर विकल्प है. मौजूदा समय में इसे लेकर बनी उत्सुकता का भुनाना होगा.
EV पर्यावरण के लिहाज से भी अच्छी हैं. इनसे प्रदूषण बढ़ाने वाली गैस नहीं निकलती है और इससे कार्बन फुटप्रिंट घटाने में मदद मिलेगी. भारत जैसे देश को तो इसकी सख्त जरूरत है. तेजी से हम दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों की सूचि में ऊपर चढ़ते जा रहे हैं. जितनी जल्दी हम मामले की गंभीरता को समझेंगे, आने वाली पीढ़ियों के लिए उतना अच्छा होगा.
सरकार को भी अब तक किए गए EV सेगमेंट से जुड़े महत्वाकांक्षी वादों को हकीकत का रूप देने होगा. इसमें CNG से मिले अनुभव का भी सहारा लिया जा सकता है. कार ओनरों के बीच इलेट्रिक वाहनों को लेकर यही झिझक है कि देश में इनका इंफ्रास्ट्रक्चर अभी सही से तैयार नहीं हुआ है. चार्जिंग स्टेशन और अन्य जरूरतों को पूरा करना अभी बाकी है.
इंफ्रास्ट्रक्चर जितनी जल्दी तैयार होगा, सबके लिए उतना अच्छा होगा. चार्जिंग स्टेशन पर लगने वाली लंबी कतारें किसी को पसंद नहीं आतीं. फिर EV की मरम्मत और मेंटेनेंस के लिए गैरज की भी जरूरत होगी. देश में EV को असल बढ़ावा तभी मिलेगा, जब ठोस कदम उठाए जाएं.
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