भूमि जोत और ग्रामीण परिवारों (land holdings and rural households) पर हाल में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक, कुल 53 फीसदी ग्रामीण परिवार ही कृषि परिवार हैं. इनमें से 70 प्रतिशत के पास एक हेक्टेयर से कम भूमि है.
सर्वे में यह भी पाया गया है कि केवल 0.4 पर्सेंट कृषि परिवारों के पास 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि है. इसके विपरीत, गैर-कृषि परिवारों की 99 फीसदी आबादी के पास भी एक हेक्टेयर से कम भूमि है. गैर-कृषि परिवारों की तादाद गांवों की कुल आबादी का 46 फीसद है.
साल 2019 के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (national statistical office) द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया है कि लगभग 77 फीसदी कृषि परिवार स्व-नियोजित (self-employed) हैं. इनमें से 69 प्रतिशत फसल उत्पादन के काम में लगे हुए हैं. शेष परिवार जो रोजगार में हैं, उनमें नियमित वेतनभोगी के रूप में काम करने वालो की संख्या 7.7 पर्सेंट है.
उधर, 14 फीसदी लोग कैजुअल लेबर के काम में हैं. गैर-कृषि परिवारों में, 48.6 प्रतिशत कैजुअल लेबर के काम में हैं, जबकि करीब 18 फीसदी नियमित वेतनभोगी के रूप में काम करते हैं.
सर्वे में मुख्य रूप से पाया गया है कि 8.2 प्रतिशत ग्रामीण परिवार भूमिहीन हैं. इस श्रेणी को 0.002 हेक्टेयर से कम भूमि के मालिक के रूप में परिभाषित किया गया है.
इस सर्वे में ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक समूह के आधार पर भी अध्ययन किया गया है. गांवों में अनुसूचित जातियों के पास ग्रामीण भूमि का 10.2 प्रतिशत हिस्सा है. अनुसूचित जनजातियों के पास कुल भूमि का 14.1 प्रतिशत है.
इसके विपरीत अन्य पिछड़े वर्गों के पास 47 फीसदी भूमि है और अन्य के पास 28.5 फीसदी. लगभग 16 प्रतिशत कृषि परिवारों में अनुसूचित जाति का हिस्सा है, जबकि अनुसूचित जनजाति 14 फीसदी और OBC लगभग 46 पर्सेंट हैं.
पशुधन के स्वामित्व का डेटा काफी दिलचस्प है. सर्वे के अनुसार, तकरीबन 48.5 फीसदी घरों में मवेशी हैं, जबकि 27.8 प्रतिशत के पास भैंस है, 10.7 पर्सेंट के पास पोल्ट्री पक्षी और 21.9 फीसदी के पास गोजातीय और अन्य पशु हैं.
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