लाइफ इंश्योरेंस (life Insurance) का उद्देश आपके बाद परिवार को वित्तीय सहाय पहुंचाने का होना चाहिए.
सभी बीमाकर्ता(insurance companies) इस कवर के लिए पॉलिसी नहीं देते क्योंकि ये एक तरह से नियोजित गतिविधि(planned activity) मानी गई है.
Bank FD: कोविड-19 की वजह से अर्थव्यवस्था में आई मंदी की असर रियल एस्टेट (Real Estate) की कीमतों पर भी पड़ा है.
Investment: डेट कैटेगरी के CRF सबसे अधिक जोखिम वाला है क्योंकि यह इलिक्विड के रूप से लो-रेटेड पेपर में निवेश करता है.
ULIP: नए प्लान में 5 साल की लॉक-इन अवधि होती है. इन प्रोडक्ट्स में शुरुआती सालों में चार्ज ज्यादा होते हैं जैसे फंड एलोकेशन चार्ज, फंड मैनेजमेंट फीस, पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन फीस
Smart Investor: निवेश की सही जानकारी नहीं होने से फाइनेंशियल प्लानिंग पर असर पड़ता है. आपको टैक्स बचाने और आय बढ़ाने के तरीके ढूंढ़ने चाहिए
भारत में 8 तरह की लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी उपलब्ध हैं. बीमा कराने वाले अपनी जरूरत के मुताबिक अपने लिए पॉलिसी का चुनाव कर सकते हैं.
टैक्स सेव करने के बेस्ट तरीकों में सेक्शन 80C आता है. इस सेक्शन के तहत आपको सालाना अधिकतम 1.5 लाख रुपये का टैक्स एग्जेंप्शन मिलता है.
इंश्योरेंस भी और इन्वेस्टमेंट भी! Policybazaar लाया है कैपिटल गारंटी सॉल्यूशन प्लान जहां इन्वेस्टमेंट की रकम पर नहीं है घाटे का खतरा, जानें क्या हैं फीचर्स
Insurance portfolio- टर्म इंश्योरेंस का चुनाव उम्र और इंश्योरर के ऊपर कितने लोग अश्रित हैं और फाइनेंशियल जिम्मेदारियां जैसे कि लोन के हिसाब से करें.