मैटरनिटी इंश्योरेंस(maternity Insurance): ये माना जाता है कि इस इंश्योरेंस का क्लेम निश्चित है इसलिए बीमाकर्ता इन पॉलिसियों पर ज्यादा प्रीमियम वसूलते हैं. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को निश्चित तौर पर अलग तरह के हेल्थ कवरेज(health coverage) की जरूरत होती है. महिलाओं के ज्यादातर अस्पताल जाने की पहली वजह है प्रसूति. इस जरूरत को देखते हुए बाजार में कई स्वास्थ्य बीमा योजनाएं हैं जो मैटरनिटी से जुड़े चिकित्सा खर्च को कवर करती हैं. पर सभी बीमाकर्ता(insurance companies) इस कवर के लिए पॉलिसी नहीं देते क्योंकि ये एक तरह से नियोजित गतिविधि(planned activity) मानी गई है.
“बीमा करने वालों की किताब में मैटरनिटी इंश्योरेंस(maternity insurance) को एक ऐसी परिस्थिति के तौर पर लिया गया है जो पहले से लोगों की प्लानिंग में शामिल होती है. इसलिए ऐसी बीमा कंपनियों की तादात कम है जो अपनी योजनाओं में मातृत्व बीमा देती हैं. आम तौर पर परिवार मैटरनिटी के लिए पॉलिसी पर निर्भर नहीं रहते क्योंकि इसकी लागत लगभग 25,000- 40,000 रुपये के बीच होती है और लोग ये अपनी ही जेब से चुका देते हैं. नवल गोयल, संस्थापक और सीईओ, पॉलिसीएक्स डॉट कॉम(PolicyX.com) कहते हैं,
“ सिजेरियन सेक्शन से होने वाले खर्चों ने अब मेट्रो शहरों में मैटरनिटी एक्सपेन्स बढ़ा दिया है ”.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अविवाहित बेटी या नवविवाहित जोड़े के लिए मैटरनिटी लाभ वाली स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी बहुत फायदेमंद होगी. आरआईए इंश्योरेंस ब्रोकर्स(RIA Insurance Brokers) के निदेशक और संस्थापक एस के सेठी कहते हैं, “हमने ऐसे मामलों के बारे में भी सुना है जहां नवजात बच्चे कोरोनावायरस(coronavirus) या ब्लैक फंगस(Black fungus) से जूझ रहे हैं. ऐसे मामलों में मैटरनिटी कवर खरीदने की सलाह दी जाती है, खासकर उन युवा महिलाओं को जिन्होंने अभी अपना करियर शुरू ही किया है और कुछ साल बाद शादी करने की योजना बना रही हैं ”.
गोयल भी इस बात से सहमत हैं, “जो लोग शादी कर रहे हैं या फिर परिवार बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, उन्हें इस मैटरनिटी कवर के बारे में जरूर सोचना चाहिए ताकि ये खुशियां उन पर भारी ना पड़े और साथ ही वो आर्थिक बोझ से भी बच सकें. साथ ही मैटरनिटी इंश्योरेंस(maternity cover) के बारे में कम लोग ही जानते हैं कि ये सिर्फ महिलाओँ की योजना में मिलता है, पुरुषों को इसका फायदा नहीं है.
बाजार में ऐसी कई योजनाएं मौजूद हैं जो अपने इंश्योरेंस प्लान में मैटरनिटी को प्रमुखता देने के लिए डिज़ाइन की गई हैं. इन योजनाओं में प्रसव का खर्च (सामान्य और सिजेरियन दोनों), दूसरे चिकित्सा खर्च जैसे नर्सिंग, कमरे का शुल्क, डॉक्टर परामर्श, एनेस्थेटिस्ट शुल्क(anesthetist charges) और सर्जन का खर्च(surgeon fees ) शामिल हैं. ये पॉलिसी नवजात शिशु के जन्म की तारीख से 90 दिनों तक के चिकित्सा खर्चों को भी कवर करती है. इसके अलावा, मैटरनिटी के फायदों के साथ ही ये पॉलिसी गर्भावस्था के दौरान होने वाली दूसरी जटिलताओं के उपचार या जरूरी होने पर टर्मिनेशन(termination) के खर्च को भी कवर करती है.
ऐसा नहीं है कि बीमा कंपनियों ने हाल ही में मैटरनिटी कवर देना शुरू किया है. ये पॉलिसी सालों से बाजार में मौजूद है. इनमें से कुछ का वेटिंग पीरियड 6 साल का है, दूसरों ने वेटिंग पीरियड को घटाकर केवल 9 साल कर दिया है. जैसे केयर हेल्थ इंश्योरेंस(Care Health Insurance) जॉय टुडे(Joy Today) नाम की एक पॉलिसी देता है, जिसका वेटिंग पीरियड नौ महीने से कम है. ये पॉलिसी तीन सालों के लिए है, जिसका मतलब है कि आपको एक बार में तीन साल का प्रीमियम देना होगा.
मैटरनिटी इंश्योरेंस पॉलिसी पर जो प्रीमियम आप देते हैं वो आम हेल्थ प्लान के मुकाबले ज्यादा होता है। गोयल कहते हैं, “अब इस तरह की पॉलिसी में क्लेम निश्चित होता है इसलिए बीमाकर्ता(insurers) इन पॉलिसियों पर ज्यादा प्रीमियम लेते हैं. इसलिए जब कोई इस तरह के कवरेज को खरीदने जाए तो अलग अलग इंश्योरेर्स द्वारा दिए जाने वाले प्लान्स की आपस में तुलना जरूर कर लें. गोयल कहते हैं, “यह याद रखना जरूरी है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है मैटरनिटी कवर का प्रीमियम बढ़ता जाता है. साथ ही ये भी जान लें कि गर्भावस्था से जुड़ी लागत भी हर दिन बढ़ रही है ”.
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