Tax Benefit: हाल ही में 21-50 साल के 499 निवेशकों पर हुए एक सरवे से पाया गया कि, हर तीन निवेशक में से दो निवेशक युनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) में निवेश करने का इरादा रखते है. निवेशकों में ULIP के प्रति लगाव होने के कइ कारण है, जैसे अच्छा रिटर्न, इंश्योरेंस के साथ साथ इंवेस्टमेंट, फ्लेक्सिबिलिटी, एसेट अलोकेशन, स्विचिंग ओप्शन, टैक्स बेनिफिट इत्यादि. यह योजनाएं लॉन्च हुइ तब से इसमें कई बार बदलाव हुए है.
2021 के बजेट में ULIP के साथ जुडे टैक्स नियम में बदलाव किया गया है, यदि आप इस नियम के बारे में नहीं जानते है तो ज्यादा टैक्स चुकाने की नौबत आ सकती है, ऐसा इनकम टैक्स एक्सपर्ट बताते है.
ULIP क्या हैः यह एक यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान है, जो आपको बीमा और निवेश का लाभ प्रदान करता है.
ULIP कैसे करता है कामः यूलिप में बीमा और निवेश दोनों के लाभ मिलते है, इसलिए आपका निवेश किया गया पैसा इन दोनों के बीच बाटा जाता है. जब आप एक प्रीमियम का भुगतान करते हैं, तो इसका एक हिस्सा लाइफ कवर के लिए और बाकी का हिस्सा कर्ज और इक्विटी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए उपयोग किया जाता है. इस हिस्से से म्यूचुअल फंड की तरह युनिट खरीदे जाते है, जिसकी NAV मार्केट के उतार-चढाव के साथ बढती या गीरती है.
ULIP के टैक्स बेनिफिटः ULIP योजनाओं से आप कर-बचत के लाभ ले सकते है और अपने सेविंग को बढ़ा सकते हैं. यदि ULIP की अवधि के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है तो नोमिनी को मिलने वाली रकम करमुक्त गीनी जाती है. यदि पॉलिसीधारक ULIP की अवधी तक जीवित रहता है, तो मैच्योरिटी से होने वाले लाभ को सेक्शन 10(10D) के तहत कर-मुक्त गीना जाता है. यदि आप लॉक-इन अवधि के पूरा होने के बाद फंड मूल्य के 20% निकासी करते है तो उसे भी कर-मुक्त गीना जाता है. आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत आप ULIP के लिए चुकाए गए प्रीमियम पर भी कर छूट का दावा कर सकते है.
नियम में हुआ बदलावः 2.5 लाख रुपये से अधिक के वार्षिक प्रीमियम वाले यूलिप की परिपक्वता आय को इक्विटी-लिंक्ड म्यूचुअल फंड योजनाओं के बराबर कर योग्य बनाने के लिए बजट 2021 में बदलाव किया गया था. यह 1 फरवरी, 2021 को या उसके बाद ली गई नई यूलिप पॉलिसियों पर लागू होगा. यानि, आप ULIP में सालाना 2.50 लाख रूपए से ज्यादा प्रीमियम चुकाते है तो मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि पर टैक्स बेनिफिट नहीं ले सकते. आपके पास चाहे एक ULIP हो या ज्यादा, आपका सालाना प्रीमियम 2.50 लाख रूपए की सीमा के अंदर होने पर ही आपको टैक्स का बेनिफिट मिलता है.
टैक्स एक्सपर्ट क्या कहते हैः इनकम टैक्स प्रेक्टिशनर CA पुष्पेंद्र कुशवाह के मुताबिक, यूलिप के लिए सालाना 2.5 लाख रूपए से ज्यादा प्रीमियम चुकाने वाले लोग हाइ नेटवर्थ इंडिविड्युअल (HNI) कैटेगरी में आते है. क्योंकि यूलिप में मैच्योरिटी की रकम भी करमुक्त होती है इसलिए, ऐसे निवेशक इसका यूज या मिसयूज करते थे और उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए पहली फरवरी को जारी हुए बजेट दिन से ही नया नियम अमल में रखा गया है.
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