भारत में विदेशी फंडों की बिक्री से बैंक सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि बेंचमार्क इंडेक्स - निफ्टी और सेंसेक्स में इस सेक्टर का वेटेज सबसे ज्यादा है.
क्या अब GST बढ़ाएगा महंगाई? क्या संकट में फंस गई BYJU'S? चीन की अर्थव्यवस्था में रिकवरी कितनी मजबूत? क्या अब Commodity Trade भी करेंगे FPI?
देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी के आईपीओ को लेकर सुगबुगाहत शुर हो गई है. सरकार अब एक्शन में आ गई है.
अगर वे इस तरह का कोई कारोबार करते हैं या इसमें लिप्त पाए जाते हैं तो यह नियमों का उल्लंघन है और इसके चलते सख्त कार्रवाई हो सकती है.
America Bond Market: निवेशकों को डर है कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड बढ़ने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक घरेलू बाजार से बाहर निकल सकते हैं.
Foreign Portfolio Investors: सितंबर में ज्यादातर उभरते मार्केट में FPI ने पूंजी डाली है. हालांकि इस दौरान भारत में FPI का फ्लो सबसे हाई रहा है.
7 सितंबर को सेबी का सर्कुलर जारी होने से पहले न तो FPI और न ही भारत में उनके कस्टोडियन से कोई सलाह ली गई थी.
यह लिस्टेड कंपनियों के टेकओवर को अधिक जटिल बनाता है और निवेशकों को नियंत्रित हिस्सेदारी हासिल करने से भी रोकता है.
FPI ने सितंबर में अब तक इक्विटीज में 13,536 करोड़ रुपये और डेट सेगमेंट में 8,339 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
सेबी ने दो FPI हेशिका ग्रोथ फंड (Heshika Growth Fund) और प्लूटस टेरा इंडिया फंड (Plutus Terra) पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.