सितंबर की समाप्त तिमाही में बेंचमार्क इंडेक्स 13 फीसदी बढ़कर नई ऊंचाई पर पहुंच गया है. हाल ही में जारी हुए आंकड़ों से पता चला है कि देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC- Life Insurance Corporation) ने शेयरों के लिए अपने जोखिम को कम कर 105 फर्मों में अपनी हिस्सेदारी को कम कर लिया है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE-National Stock Exchange) में सूचीबद्ध 281 कंपनियों में एलआईसी की हिस्सेदारी है जहां उसके पास एक फीसदी से अधिक शेयर हैं.
लाइव मिंट की खबर के अनुसार 30 सितंबर की समाप्त तिमाही में इन कंपनियों का बाजार मूल्य 3.69 प्रतिशत गिर गया था. जबकि पिछले साल समान तिमाही में 3.91 प्रतिशत था अगर देखा जाए तो पिछले साल की तुलना में यह कम है. जबकि जून में यह 3.98 प्रतिशत था. आंकड़ों के मुताबिक, एलआईसी ने 105 फर्मों में अपनी हिस्सेदारी को कम किया है जिन फर्मों में हिस्सेदारी घटाई है उनके शेयर की कीमतों में लगभग 2.39 फीसदी की बढोतरी देखी है. जबकि एलआईसी ने जिन 94 फर्मों मे अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है उनके शेयरों की कीमतों में भी 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. नतीजतन 30 सितंबर तक एलआईसी का इक्विटी निवेश 9.39 ट्रिलियन रुपए के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले महीनों से 11.4 फीसदी अधिक है.
आंकड़ों के अनुसार बीमा कंपनियों की इक्विटी होल्डिंग 30 सितंबर को छह साल के निचले स्तर 4.81 फीसदी पर आ गई थीं, जबकि एक साल पहले यह 5.16 फीसदी थी. घरेलू संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी के बारे में बात करें तो यह सितंबर में तीन साल के निचले स्तर 13.1 फीसदी पर है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 13.94% थी. घरेलू म्यूचुअल फंडों ने सितंबर में एनएसई कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 7.36% कर दी थी. आंकड़ों के मुताबिक, एनएसई लिस्टेड कंपनियों में फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (Foreign Portfolio Investors-FPI) की होल्डिंग 30 सितंबर तक मामूली घटकर 21.47 फीसदी रह गई, जो एक साल पहले 21.52 फीसदी थी.
एलआईसी ने धीरे-धीरे इक्विटी में अपनी हिस्सेदारी कम की है. रिपोर्ट में एक विश्लेषक के हवाले से कहा गया है कि जैसे-जैसे बाजार बढ़ता है, निवेशक वैसे ही अपना पैसा निकाल लेते हैं. मजबूत बाजारों का फायदा उठाकर एलआईसी ने भी मुनाफावसूली की है.
देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी के आईपीओ को लेकर सुगबुगाहत शुर हो गई है. सरकार अब एक्शन में आ गई है. जल्द ही इसका डीएचआरपी जमा हो सकता है. सरकार ने जनवरी 2022 इसकी डेडलाइन तय की है और इसके लिए 10 मर्चेंट बैंकरों की नियुक्ति भी कर दी है. मामले से जुड़े जानकारों के अनुसार सरकार आईपीओ के जरिए 60-75 हजार करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी में है. आईपीओ के बाद कंपनी की वैल्यू 10 लाख करोड़ हो सकती है.
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