सौरभ मुखर्जिया वैसे तो इनवेस्टमेंट मैनेजर हैं लेकिन, उनकी नजर एक डिटेक्टिव जैसी है. वे लिस्टेड फर्मों में संदेहास्पद गतिविधियों को सूंघने में माहिर हैं. उनका मानना है कि खराब अकाउंटिंग स्टैंडर्ड इनवेस्टर्स की वेल्थ के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक साबित होते हैं.
ब्योरे जुटाने और खातों को जांचने के लिए फोरेंसिक एप्रोच उनकी पहचान है. इसकी वजह से उन्हें कई दफा धमकी भरे कॉल्स भी आ चुके हैं. लेकिन, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) के स्टूडेंट रह चुके मुखर्जिया इन सबसे बेपरवाह हैं.
करीब आठ साल तक वे एंबिट कैपिटल के इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के हेड रहे. इसके बाद उन्होंने मर्सीलस इनवेस्टमेंट मैनेजर्स के नाम से अपनी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज शुरू कर दी.
अपनी काबिलियत के बूते उनके PMS ने 25% सालाना की कंपाउंडिंग ग्रोथ हासिल की है. मनी9 को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने इनवेस्टर्स को ट्रेडिंग की ट्रिक्स बताई हैं. पेश हैं इंटरव्यू के अंशः
मर्सीलस में हम तीन मुख्य आधारों पर किसी स्टॉक का चुनाव करते हैं. 1. कंपनी के खाते क्लीन हों. 2. कंपनी ऐसे उत्पाद या सेवाएं बेच रही हो जो कि भारत की 1.4 अरब आबादी के लिए जरूरी हों. 3. कंपनी बिना किसी चुनौती के लिए मार्केट में कामकाज कर रही हो. इस लिहाज से मैं हमारे पोर्टफोलियो में मौजूद नेस्ले और पिडिलाइट का उदाहरण दे सकता हूं.
हमारे सभी निवेश गहन विश्लेषण पर आधारित हैं. हमारे निवेश गुजरे 10-15 साल की एनुअल रिपोर्ट्स को पढ़ने के बाद तय होते हैं. इसके बाद 30-40 विचार-विमर्श कस्टमर्स, सप्लायर्स, पूर्व-एंप्लॉयीज और कंपनी के प्रतिस्पर्धियों से होता है. आखिर में हम कुछ घंटे कंपनी के मैनेजमेंट से चर्चा करते हैं कि वे किस दिशा में कंपनी को ले जाना चाहते हैं.
हम शायद ही किसी कंपनी में निवेश के वक्त उसके शेयर के भाव पर नजर डालते हैं. हमारा फोकस तीन चीजों पर होता है. 1. प्रमोटर का व्यवहार कैसा है- क्या वह फालतू की चीजें कर रहा है? क्या वह समझदारी से फैसले ले रहा है या जल्दबाजी में है? क्या वह आलसी है या परिश्रमी है? 2. उत्पाद की डिमांड- क्या ये बनी हुई है या कमजोर पड़ रही है? क्या इसके विकल्प आ रहे हैं? 3. उत्तराधिकार योजना- क्या कंपनी अगली पीढ़ी के लीडर्स तैयार कर रही है? या एक एक पारिवारिक बिजनेस है जहां काबिलियत की कोई परवाह नहीं होती है.
हम मर्सीलस में शायद ही स्टॉक खरीदते-बेचते हैं. मर्सीलस के पोर्टफोलियो में किसी एक साल में हम एक स्टॉक बेचते हैं और एक स्टॉक खरीदते हैं. इसका मतलब ये है कि हमारा आमतौर पर होल्डिंग पीरियड 10 साल है.
मैं सुबह 5 बजे उठता हूं. ब्रेकफास्ट करने के बाद दो घंटे पढ़ता हूं. फिर मैं एक घंटे एक्सरसाइज करता हूं और 8.30 बजे कामकाज शुरू कर देता हूं. सुबह से लंचटाइम तक मैं मर्सीलस की रिसर्च टीम और हमारे फंड मैनेजरों से चर्चा करता हूं लंच के बाद मैं क्लाइंट मीटिंग्स करता हूं. मैं अपना दिन शाम को 6 बजे खत्म करने की कोशिश करता हूं. जब मुझे US क्लाइंट्स से बात करनी होती है तो रात के 8.30-9 बज जाते हैं.
हमारे पास अभी तक ऐसे शेयर नहीं रहे जिनसे क्लाइंट्स की पूंजी बर्बाद हुई हो. कई स्टॉक्स ऐसे रहे हैं जहां लंबे वक्त के दौरान हमारा परफॉर्मेंस संतोषजनक नहीं रहा है. ऐसे मामलों में हम मैनेजमेंट से बात करते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि क्या इस हालात में सुधार हो सकता है. जब हमें लगता है कि ऐसा नहीं हो सकता, तब हम इससे निकल जाते हैं.
मैं हर हफ्ते एक किताब पढ़ता हूं. मैं फिलहाल ब्रायन आर्थर की ‘नेचर ऑफ टेक्नोलॉजी’ पढ़ रहा हूं.
सालाना रिपोर्ट्स को पढ़ना सीखिए. साफ-सुथरी कंपनियों में पैसा लगाइए और इसके बाद मजे से पैसे को बढ़ता हुआ देखिए.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।
Money9 Summit: Elixir Equities Founder और BSE, NSE, CDSL सदस्य Dipan Mehta के साथ खास बातचीत
Updated:March 15, 2023Money9 Summit: क्या Financial Inclusion को बढ़ावा दे पाएंगी फिनटेक कंपनियां?
Updated:March 15, 2023Money9 Summit: Mutual Fund इंडस्ट्री के लिए कैसा रहेगा भविष्य?
Updated:March 15, 2023Money9 Summit: सौगत भट्टाचार्य, सिद्धार्थ सान्याल, रजनी सिन्हा और अतुल जोशी से खास बातचीत
Updated:March 15, 2023Money9 Summit: सुभ्रजीत मुखोपाध्याय, वेंकटेश नायडू, हर्ष रूंगटा और प्रिया देशमुख से चर्चा
Updated:March 15, 2023Money9 Summit: Edelweiss AMC की MD और CEO राधिका गुप्ता के साथ खास चर्चा
Updated:March 15, 2023Money9 Summit में वाणिज्य राज्य मंत्री Anupriya Patel के साथ चर्चा
Updated:March 15, 2023