घरेलू शेयर बाजारों में अनिश्चितता के दौर में भी गतिविधि बनी हुई है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ओवरवैल्यूएशन के चलते प्रॉफिट बुकिंग के संकेत दिख रहे हैं. हफ्ते के आखिर में FII ने भारतीय शेयरों में बिकवाली की और मार्केट में उतार-चढ़ाव पैदा हो गया. दूसरी ओर, बाजार में खुदरा निवेशक बढ़ रहे हैं. इसके चलते बाजार में लिक्विडिटी का ढेर है. निवेशकों को कोई दूसरा बढ़िया विकल्प दिखाई नहीं दे रहा है.
इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीमों में जून में लगातार चौथे महीने भी नेट इनफ्लो रहा है. इससे इक्विटी मार्केट्स को लेकर बने हुए भरोसे का पता चलता है.
मार्केट्स तकरीबन नई ऊंचाइयों पर बने हुए हैं. रिटेल निवेशकों की बढ़ती तादाद से प्रमोटर भी उत्साहित हो रहे हैं और वे IPO ला रहे हैं. कैलेंडर ईयर 2021 की दूसरी छमाही में रिकॉर्ड कंपनियों के भारतीय बाजार में अपने IPO पेश करने की उम्मीद है. इनके 80,000-90,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है.
जिस तरह से IPO के लिए भगदड़ मची है उससे लिक्विडिटी घट सकती है और इससे सेकेंडरी मार्केट्स पर भी बुरा असर पड़ सकता है.
ऐसे में एक बड़ा सवाल पैदा हो रहा हैः क्या मौजूदा उत्साह तेजी के साइकिल के अंत का संकेत दे रहा है? आमतौर पर, मार्केट्स जब इफरात की कगार पर पहुंच जाते हैं तो वही उनका टॉप लेवल होता है.
मौजूदा वक्त में ऐसा लग रहा है कि वॉल्यूम्स के टर्म में ये आक्रामकता कमजोर पड़ी है और VIX भी तकरीबन एक ही रेंज में है.
ऐसे में अगर एशिया और दूसरे विकसित देशों के शेयरों में आने वाले हफ्ते में करेक्शन आता है तो क्या भारतीय मार्केट्स भी एक इंटरमीडिएट टॉप बना सकते हैं.
हफ्ते के इवेंट
हाल में आए RBI के डेटा में उधार लेने वालों के ट्रेंड में शिफ्ट दिखाई दिया है. दूसरी लहर ने पर्सनल लोन उधारियों में इजाफा किया है. लोग ज्वैलरी के बदले लोन ले रहे हैं. दूसरी ओर, हाउसिंग सेक्टर में क्रेडिट ग्रोथ सुस्त पड़ी है.
टेक्निकल आउटलुक
निफ्टी50 इस हफ्ते मामूली गिरकर बंद हुआ है, लेकिन ये अभी भी एक रेंज में बना हुआ है. इंडेक्स को 15,500 के जोन में एक शॉर्ट-टर्म सपोर्ट मिला हुआ है. इसके टूटने पर मौजूदा तेजी के ट्रेंड के लिए खतरा पैदा हो जाएगा. इससे प्रॉफिट बुकिंग में तेजी आ सकती है.
अगले हफ्ते के लिए उम्मीद
आने वाले हफ्ते से वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के नतीजे आने शुरू हो जाएंगे. उद्योग जगत को रिकवरी की उम्मीद है. अच्छे सेंटीमेंट के बावजूद कुछ स्टॉक्स में उतार-चढ़ाव दिखाई दे सकता है.
(लेखक सैमको सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च के हेड हैं. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)
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