शेयर मार्केट से जुड़े सभी निवेशकों ने एक सलाह तो जरूर सुनी होगी, कम भाव हो तब खरीदना चाहिए और ज्यादा भाव में बेचना चाहिए. लेकिन, एक ऐसी स्ट्रैटेजी है जो ज्यादा भाव में खरीदने की और उससे भी ज्यादा भाव में बेचने की फिलॉसफी पर आधारित है. इस स्ट्रैटेजी को दलाल स्ट्रीट में मोमेंटम इनवेस्टिंग (Momentum Investing) स्ट्रैटेजी कहा जाता है. फिलहाल शेयर बाजार नई ऊंचाईयों को छू रहा है तो क्या ऐसे हालात में मोमेंटम स्ट्रैटेजी (Momentum Investing) को फॉलो करके पैसे बनाना सही है या नहीं? यहां हम इसी उलझन को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं.
कमजोर दिलवाले दूर रहें
सेबी-रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर नवीन शाह बताते हैं, “जब बाजार की वैल्यूएशन कम हो तब ये स्ट्रैटेजी सही है. मान लीजिए निफ्टी 9,500 के लेवल पर है तब ये ठीक है, लेकिन निफ्टी 15,000 पर है तब आपको वैल्यू इनवेस्टिंग स्ट्रैटेजी को पसंद करना चाहिए.”
शेयर बाजार के एक्सपर्ट्स कहते हैं कि रिस्क से डरने वालों के लिए ये स्ट्रैटेजी (Momentum Investing) सही नहीं है क्योंकि जब मार्केट गिरता है तब इस स्ट्रैटेजी से होने वाला नुकसान भी ज्यादा होता है.
जब मार्केट में भारी गिरावट हो तब ये स्ट्रैटेजी दूसरों के मुकाबले ज्यादा घाटा करवाती है. कैपिटल मिंट के ब्लॉग पोस्ट के मुताबिक, “कमजोर दिल वालों के लिए ये स्ट्रैटेजी सही नहीं है. जब बाजार में भारी गिरावट आती है तब दूसरों के मुकाबले मोमेंटम स्ट्रैटेजी (Momentum Investing) में काफी ज्यादा नुकसान झेलना पड़ता है.”
शेयर बाजार से जुडे़ एक्सपर्ट मानते हैं कि, दूसरी कई स्ट्रैटेजीज को फॉलो करके आप बाजार से पैसे कमा सकते हैं. मोमेंटम स्ट्रैटेजी (Momentum Investing) अच्छी है, लेकिन ये कुछ चरणों में काम करती है, और कुछ दफा ये फेल हो जाती है.
एक्सपर्ट्स की राय
मुंबई स्थित म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर ऋषभ देसाई बताते है, “मोमेंटम स्टैटेजी (Momentum Investing) दो तरह की होती हैं – अर्निंग्स मोमेंटम और प्राइस मोमेंटम. अर्निंग्स मोमेंटम स्टैटेजी में ऐसी कंपनियों के शेयर खरीदे जाते हैं जिन्होंने अर्निंग्स में लगातार ग्रोथ की हो, जिनका ग्रोथ रेट काफी ऊंचा हो और जिनका RoE (रिटर्न ऑन इक्विटी) भी ऊंचा हो. मोतीलाल ओसवाल फ्लेक्सीकैप फंड जैसी कुछ स्कीम्स ऐसी स्टैटेजी को फॉलो करती है. प्राइस मोमेंटम स्टैटेजी में ऊंचा प्राइस रिटर्न देने वाले कुछ मोमेंटम रेशियो के आधार पर कंपनियों को पसंद किया जाता है. ये स्ट्रैटेजी में ज्यादा जोखिम है, इसलिए स्मॉल-कैप और मिड-कैप शेयरो में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. लार्ज-कैप में भी आपको केवल 10-15% निवेश करके इस स्टैटेजी को फॉलो करना चाहिए.”
मोमेंटम इंडेक्स फंड में निवेश करना चाहिए?
मोमेंटम इनवेस्टिंग (Momentum Investing) में बहुत जोखिम है और शायद इसलिए भारत के म्यूच्युअल फंड सेक्टर में ये ज्यादा प्रचलित नहीं हैं. मोमेंटम फंड्स में कुछ ऑटोमेटेड रूल्स होने के बावजूद दूसरे फंड के मुकाबले इनमें उतार-चढ़ाव यानी वोलैटिलिटी ज्यादा हो सकती है.
फंड में चर्निंग होती रहती है, जिसके कारण एक्स्पेंस रेशियो ऊंचा रहने की संभावना है. किसी भी इंडेक्स फंड का एक्स्पेंस रेशियो 0-1-0.2% के आसपास होता है, वहीं UTI के निफ्टी 200 मोमेंटम 30 इंडेक्स फंड का एक्स्पेंस रेशियो 0.5% है.
यदि आप लॉन्ग-टर्म के लिए और अनुशासन के साथ इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं तो मोमेंटम फंड पसंद कर सकते हैं.
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