भारतीय शेयर बाजार अभूतपूर्व ऊंचाईयों को छू रहे हैं. NSE निफ्टी 18,300 के ऊपर है, जबकि BSE सेंसेक्स 61,000 के ऊपर चढ़ा हुआ है. इस ऊंचाई को दूसरी COVID-19 लहर के बाद अर्थव्यवस्था में हुए सुधार, टीकाकरण की तेज गति और तीसरी लहर के घटते खतरे से बल मिल रहा है.
सरकार के व्यापार को समर्थन देने वाले कदम ने बाजार को राहत दी है. एयर इंडिया के निजीकरण से वित्त वर्ष 2022 में दूसरे उपक्रमों के भी विनिवेश की उम्मीद बढ़ गई है.
बाजार में निश्चित रूप से तेजी है. निवेशक उतार-चढ़ाव वाले वक्त में धीरज के साथ जमकर मुनाफा कमा रहे हैं. इस उत्साह ने वैल्यूएशन और इक्विटी में निवेश किए गए फंड को नई ऊंचाई दी है. ऐसे में निवेशक के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है. उन्हें फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा.
यहां पर हम आपको क्या करें और क्या ना करें की सूची प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसके माध्यम से निवेशक आने वाले समय में बुरी स्थिति आने पर खुद को जोखिस से बचा सकते हैं.
इन दिनों जैसी लहर बाजार में देखी जा रही है उससे छोटे से छोटे शेयर को भी नई ऊंचाइयां मिल रही हैं. ये निवेशकों के लिए एक मौका है जब वे अपनी गलतियों को सुधारें और घाटे या खराब प्रदर्शन कर रहे शेयरों को पोर्टफोलियो से हटा दें.
जो शेयर बेहतर प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, उन्हें बेचना सही निर्णय है, मगर जो शेयर फायदा दे रहे हैं उनमें बने रहना ही बुद्धिमानी है. निवेशकों के लिए ये महत्वपूर्ण है कि वे फायदा देने वाले शेयरों में लंबे समय तक बने रहें. इस दौरान शेयर बाजार अगर नीचे जाए तो ऐसे और शेयर खरीदें.
मार्केट में निवेश के लिए सही समय का पता होना असंभव है. निवेशकों को ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए लंबी अवधि के लिए बाजार में निवेश किए रहना चाहिए. बाजार जब ऊंचाई पर हो तो सभी शेयर बेचना भी बुद्धिमानी नहीं है. अपने निवेश को बचाए रखने के लिए आपको अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना चाहिए.
ऊंचे स्तर पर जब शेयर मार्केट पहुंचता है तब निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है. हालांकि ऐसे समय निवेश करना बंद भी नहीं करना चाहिए. जब जोखिम और फायदे वाली स्थिति का अनुपात अनुकूल नहीं हो, तब निवेशक को एक ही स्टॉक में निवेश नहीं करना चाहिए. बल्कि सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) का इस्तेमाल करना चाहिए. निवेशकों को अलग-अलग स्टॉक और सेक्टर में निवेश करना चाहिए.
बगैर लक्ष्य बनाए आपके निवेश और उससे फायदे की गति कमजोर पड़ सकती है. इसलिए किसी भी निवेश के लिए लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उसे प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए.
जब सभी स्टॉक ऊपर जा रहे होते हैं, तो कई स्वयंभू विशेषज्ञ आप पर सलाहों की बारिश कर देते हैं. निवेशकों का हित इसी में है कि वे मित्रों, दलालों या सोशल मीडिया पर दिए जा रहे सुझावों से दूरी बनाए रखें. जब शेयर मार्केट ऊपर उठ रहा हो, तब ऐसी सलाह काम आती है. मगर लंबी अवधि में मुनाफा कमाते रहने के लिए आपको खुद भी शोध करना चाहिए, जिससे आप सफल हों.
एक निवेशक स्टॉक मार्केट में कई तरह से निवेश कर सकता है. सभी रणनीतियां तीन बुनियादी शैलियों में से एक के अंतर्गत आएंगी – वैल्यू इनवेस्टिंग, ग्रोथ इन्वेस्टिंग या इंडेक्स इनवेस्टिंग. अलग-अलग समय मार्केट में अलग-अलग तरह के निवेश से फायदा होता है. निवेशक को अपनी समझ के अनुरूप वही रणनीति अपनानी चाहिए, जो उसके लिए सबसे उप्युक्त हो. मार्केट में आ रहे उतर-चढ़ाव के दौरान उसे निवेश की रणनीति नहीं बदलनी चाहिए.
निवेशक को असलियत और अटकलों के बीच का अंतर समझ में आना चाहिए. अटकलों से सही स्थिति का पता नहीं लगता. इससे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
आपको फाइनेंशियल प्लानर और एडवाइजर की मदद लेनी चाहिए, जो फीस लेकर व्यवसायिक रूप से सही जगहों पर निवेश करवाए. व्यवसायिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट भारत में तेजी से बढ़ रहे उद्योग का रूप लेता जा रहा है. निवेशक को लंबे समय में बड़ी राशि प्राप्त करने के लिए इसका लाभ उठाना चाहिए.
अगर आप शेयर बाजार से प्राप्त मुनाफे को पोर्टफोलियो को बेहतर बनाने के लिए दोबारा शेयर बाजार में निवेश कर देते हैं, तो भविष्य में और बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है. अगर आपको किसी जरूरी काम के लिए पोर्टफोलियो से पैसे नहीं निकालने हैं, तो दोबारा निवेश लंबे समय में बड़ी राशि प्राप्त करने में सहायक होता है.
(लेखक इन्वेस्टमेंट एडवाइजर फर्म तेजी मंडी के CEO हैं. ये उनके निजी विचार हैं)
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