भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के आईपी लाने की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में की थी. एलआईसी का आईपीओ देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा. सरकार की योजना है कि वो एलआईसी की 10% हिस्सेदारी को बेचकर 1.2 से 1.5 करोड़ रुपए तक जुटाएगी. तब से लेकर, एलआईसी के आईपीओ के लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. आइए जानिए इससे जुड़ी वो खास 9 जानकारियां जो आपको बतौर निवेशक जाननी चाहिए.
वित्त मंत्रालय ने घोषणा की है कि जीवन बीमा निगम (एलआईसी) अधिनियम, 1956 में संशोधन 30 जून, 2021 से प्रभावी हो गए हैं. संशोधन में यह गारंटी भी दी गई है कि केंद्र सरकार एलआईसी में सूचीबद्ध होने के बाद अगले पांच सालों में कम से कम 75 प्रतिशत ब्याज और उस समय के बाद कम से कम 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बरकरार रखे. इसके साथ ही संशोधन में यह सुनिश्चित किया गया कि पॉलिसीधारकों को आईपीओ में पेश किए गए शेयरों का एक हिस्सा मिलेगा.
नए संशोधनों में एलआईसी को निगम से कंपनी में बदलना, लिस्टिंग दायित्वों के अनुरूप इंडिपेंडेट डायरेक्टर बोर्ड बनाना, अधिकृत पूंजी को बढ़ाकर 25,000 करोड़ रुपए ककरके प्रत्येक को 10 शेयरों में विभाजित करना, और अन्य विधायी परिवर्तन किए गए हैं.
2021 के वित्त अधिनियम का भाग III, एलआईसी अधिनियम 1956 में संशोधनों से संबंधित है. इसमें डायरेक्टर बोर्ड की रूपरेखा, अयोग्यता का मापदंड, हितों की घोषणा, संबंधित पार्टी के संबंध में, निवेश समिति की स्थापना और ऑडिटर्स का चयन करना है.
लाइफ इंश्योरेंस ऑफ इंडिया में अब चेयरमैन की जगह चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर और मैनेजिंग डायरेक्टर की पोस्ट होगी. सरकार इस वित्तीय वर्ष में इन नियमों में बदलाव आईपीओ की पेशकश से पहले किए जा रहे हैं.
भारतीय जीवन बीमा निगम (कर्मचारी) पेंशन (संशोधन) नियमों में संशोधन, वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले वित्तीय सेवा विभाग द्वारा किए गए हैं.
एलआईसी के इस मेगा आईपीओ की सुविधा के लिए, सरकार ने एलआईसी की अधिकृत पूंजी को 100 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 25,000 करोड़ रुपये कर दिया है.
जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 में संशोधन के मुताबिक, अब एलआईसी की अधिकृत शेयर पूंजी 25,000 करोड़ रुपए होगी, जो 10 रुपए के 2,500 करोड़ शेयरों में विभाजित की जाएगी. सरकार एलआईसी में 100% हिस्सेदारी का मालिक है.
वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक मामलों के विभाग ने हाल ही में सिक्योरिटीज कॉन्ट्रेक्ट (रेगुलेशन) नियमों में संशोधन कर एलआईसी के आईपीओ के लिए रास्ता साफ किया है.
लिस्टिंग के वक्त जिन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण (कैपिटलाइजेशन) 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा अधिक है, वे अब अपने शेयरों का सिर्फ पांच फीसदी हिस्सा ही बेच सकती हैं. नियमों में नए संशोधन के साथ, सरकार का ये कदम एलआईसी का आईपीओ लेने वाली जनता के लिए फायदे का सौदा साबित होगा.
ऐसी संस्थाओं को अपनी सार्वजनिक हिस्सेदारी दो साल में 10 फीसदी तक बढ़ानी होगी और इसे पांच साल के भीतर कम से कम 25% तक बढ़ाना होगा.
नए अपडेट के मुताबिक, एलआईसी ऑफ इंडिया, पॉलिसीधारकों का एक डेटाबेस बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है. जो अपने आगामी आईपीओ में रिजर्व्ड अलॉटमेंट के 10% के लिए योग्य हो सकते हैं.
यह डेटाबेस एलआईसी के पॉलिसीधारकों के बीच डुप्लीकेशन से बचने में मदद करेगा. इसके साथ यह कदम पॉलिसीधारकों को एलआईसी ऑफ इंडिया का शेयरधारक बनने का अवसर प्रदान करेगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी के आईपीओ के आने वाले नए एक करोड़ डिमैट अकाउंट खुल सकते हैं.
केंद्र सरकार ने इस महीने की शुरुआत में कानूनी सलाहकार, बुक रनिंग लीड मैनेजर, रजिस्ट्रार और विज्ञापन एजेंसी को नियुक्त करने के लिए प्रस्ताव को जारी किया है. इसकी अंतिम तिथि 5 अगस्त है और बोली खोलने की तिथि 6 अगस्त तय की गई है.
“ऑफिशियल सर्कुलर के अनुसार, एक बोलीदाता या व्यावसायिक संबंध रखने वाले बोलीदाताओं द्वारा एक से अधिक बोली प्रस्तुत नहीं की जाएगी.” भारतीय जीवन बीमा निगम की लिस्टिंग के लिए एसबीआई कैप्स और डेलॉइट पूर्व-आईपीओ लेनदेन सलाहकार (टीए) नियुक्त किए गए हैं.
इस सप्ताह की शुरुआत में लोकसभा के वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि राज्य बीमा कंपनी का आईपीओ इस वित्तीय वर्ष के अंत तक पूरा हो जाएगा. चौधरी, संसद के मानसून सत्र के पहले दिन एलआईसी के आईपीओ से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे.
आईपीओ के बड़े आकार को देखते हुए, सरकार जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में अपनी हिस्सेदारी को दो चरणों में बेचने का फैसला कर सकती है ताकि निजी कंपनियों को इक्विटी बाजार से बाहर निकालने से बचा जा सके.
डेली फाइनेंशियल मिंट ने सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि सरकार की योजना प्रारंभिक आईपीओ के जरिए एलआईसी में अपनी 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचना है. हालांकि, आईपीओ के जरिए 5-6% की हिस्सेदारी बेचने की संभावना है, और इसी तरह की हिस्सेदारी फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग (एफपीओ) के जरिए बेची जाएगी.
31 मार्च 2021 के अंत तक देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी ने प्रीमियम के जरिए अब तक का सबसे ज्यादा 1.84 करोड़ रुपए का व्यापार किया. बीमा क्षेत्र में एलआईसी की हिस्सेदारी की बात करें तो उनके पास देशभर में 29 करोड़ से ज्यादा पॉलिसीहोल्डर्स हैं, मार्च 2021 में जारी पॉलिसियों की संख्या के मामले में एलआईसी 81.04 प्रतिशत थी.
एलआईसी को भारत में सबसे बड़े निवेशक के रूप में जाना जाता है और इसका एसेट आधार 31,96,214.81 करोड़ रुपए है. अकेले FY21 में इसने 90,000 करोड़ के रुपए के शेयर खरीदे. इसके अलावा, शेयर बाजार में इसकी हिस्सेदारी इस वित्त वर्ष में 8 लाख करोड़ रुपए के स्तर को छूने की है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस, आईटीसी, इंफोसिस, लार्सन एंड टुब्रो, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईडीबीआई बैंक, एचयूएल और एक्सिस बैंक में वैल्यू के आधार पर एलआईसी की शीर्ष दस होल्डिंग्स में शामिल हैं.
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