हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय बीमा कंपनी के अस्पतालों के नेटवर्क को जानना क्यों है जरूरी

हमेशा उसी प्लान के लिए जाएं जो आपके क्षेत्र में अधिकतम नेटवर्क हॉस्पिटल प्रदान करता हो अन्यथा आपका निवेश आपात स्थिति के समय में काम में नहीं आएगा

  • Team Money9
  • Updated Date - September 22, 2021, 04:26 IST
Health Policy, Government healthcare spend, investments, total health expenditure, health insurance, 

रिपोर्ट में साफ होता है कि कुल जीडीपी में सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ा है. सरकार ने 2017-18 में कुछ जीडीपी का 1.3 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया है

रिपोर्ट में साफ होता है कि कुल जीडीपी में सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ा है. सरकार ने 2017-18 में कुछ जीडीपी का 1.3 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया है

हेल्थ इंश्योरेंस आज के युग की जरुरत बन गया है. जो लोग आज से दो साल पहले तक मेडिकल इंश्योरेंस के बारे में सोच भी नहीं रहे थे वो अब कोरोना महामारी के बाद हेल्थ इंश्योरेंस करवा रहे हैं. कारण साफ है परिवार को मुश्किल वक्त में सही इलाज और वित्तिय सुरक्षा मिल सके. लेकिन जल्दबाजी में हेल्थ बीमा न लें. आप अगर हेल्थ इंश्योरेंस लेने की सोच रहे हैं तो ध्यान रखें कि जिस कंपनी से आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रहे हैं तो उसका अस्पतालों का नेटवर्क (Network Hospital) सही हो.

अस्पताल नेटवर्क क्यों देखना जरुरी?

हमेशा उसी प्लान के लिए जाएं जो आपके क्षेत्र में अधिकतम नेटवर्क हॉस्पिटल प्रदान करता हो अन्यथा आपका निवेश आपात स्थिति के समय में काम में नहीं आएगा. दरअसल नेटवर्क अस्पताल अस्पतालों का एक ग्रप होता है जो आपको अपनी वर्तमान हेल्थ प्लान को भुनाने की परिमिशन देता है. अगर किसी इंश्योरेंस कम्पनी के अस्पतालों का नेटवर्क अच्छा नहीं है, उसके अस्पताल में नेटवर्क में अच्छे अस्पताल शामिल नहीं हैं तो हो सकता है कि आपात स्थिति में आपको सही इलाज न मिल पाए.

इसके अलावा अस्पतालों के नेटवर्क में अच्छे हॉस्पिटल शामिल न होने पर हो सकता है आपको सही या बेहतर इलाज न मिल पाए इसके अलावा बड़े हॉस्पिटल में सभी सुविधाएं जैसे सभी टेस्ट और ICU जैसी कई सुविधाएं रहती हैं इससे आपको बाहर से कोई टेस्ट नहीं कराने पड़ते हैं. इससे आपका पैसा बच जाता है और काम भी जल्दी होता है.

नेटवर्क अस्पतालों में कैशलैस क्लेम जरूरी

हेल्थ इंश्योरेंस में कैशलेस क्लेम, क्लेम सेटलमेंट का एक तरीका है, जहां पॉलिसी होल्डर को इलाज के लिए कैश का भुगतान नहीं करना होता है और बिलों का सेटलमेंट सीधे हॉस्पिटल और इंश्योरेंस कंपनी के बीच कर लिया जाता है.

इसके लिए, प्लान बनाकर हॉस्पिटल में भर्ती होने के मामले में दो दिन पहले और इमर्जेंसी हॉस्पिटलाइजेशन के मामले में 24 घंटों के भीतर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान प्रोवाइडर को सूचना देनी होगी. बिलों का सेटलमेंट टीपीए के तहत हो जाता है और मेडिक्लेम कार्ड अस्पताल में सबमिट करना होता है.

कैशलेस सेटलमेंट के मामले में इस बात का ध्यान रखें कि इलाज इंश्योरर के नेटवर्क हॉस्पिटल में कराएं, अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो बिल की राशि के रीइम्बर्स के लिए इंश्योरेंस प्रोवाइडर को बिल उपलब्ध कराएं.

क्या है थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (TPA)?

1.थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर बीमा देने वाली कंपनी और बीमा लेने वाले व्यक्ति के बीच एक मध्यस्थ के रूप में काम करता है. इसका मुख्य काम दावे और सेटलमेंट की प्रक्रिया में मदद करना है.

2.थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर या TPA बीमा लेने वाले व्यक्ति को कार्ड जारी करता है. इसे दिखाकर ही किसी अस्पताल में कैशलेस सुविधा की मदद से इलाज कराया जा सकता है.

3.किसी दावे के वक्त बीमा लेने वाला व्यक्ति थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर को पहले सूचना देता है. इसके बाद उसे संबंधित अस्पताल में जाने के लिए कहा जाता है. यह बीमा कंपनी के नेटवर्क का अस्पताल होता है. ग्राहक दूसरे अस्पताल में भी इलाज के लिए जा सकता है, जिसका खर्च उसे रीइम्बर्समेंट के जरिये मिल सकता है.

4.थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर उस अस्पताल को एक पत्र जारी करता है, जिसके बाद उस केस पर अस्पताल को नजर रखने और डिस चार्ज करने के बाद सभी बिल TPA को पेमेंट के लिए भेजे जाते हैं.

5.TPA सभी संबंधित दस्तावेज को बिल के साथ दावे के भुगतान के लिए बीमा कंपनी के पास भेजती है.

Published - September 22, 2021, 04:26 IST