Bitcoin: कहते हैं पैसा ही पैसे को खिंचता है. एक ऐसा ही पैसा है जो इन दिनों इतनी दौलत खींच रहा है कि सभी की निगाहें उस पर टिकी हैं. हम बात कर रहे हैं क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (Cryptocurrency Bitcoin) की. बिटकॉइन ने रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक बार फिर नया शिखर हासिल किया है. बिटकॉइन ने $35000 का मार्क क्रॉस कर दिया है. क्रिप्टोकरेंसी ने 35842 का नया हाई बनाया है. साल 2020 के जून-जुलाई तक इसका लेवल $9000 पर था, इस वक्त जिन निवेशकों ने इसमें पैसा लगाया होगा उन्हें सिर्फ 6 महीने में 300 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिल चुका है. किसी भी मुद्रा की यह अब तक की सबसे ज्यादा ग्रोथ है.
दूसरी एसेट्स की तरह क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें भी डिमांड बढ़ने पर ही बढ़ती हैं. बिटकॉइन की कीमतों में तेजी भी इस बात की गवाह है कि अभी इसकी लिमिटेड सप्लाई है. इंडियन Bitcoin और क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज WazirX के फाउंडर और CEO निश्चल शेट्टी का मानना है कि पूरी दुनिया में अभी तक 21 मिलियन (2.1 करोड़) बिटकॉइन हैं और 7 बिलियन (700 करोड़) लोग इसमें ट्रेड कर रहे हैं. जैसे ही ज्यादा से ज्यादा लोग इसमें जुड़ेंगे, क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की वैल्यू और बढ़ती जाएगी.
वैध या अवैध? पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने RBI की तरफ से 2018 में क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए बैन को हटा दिया था. लेकिन, कोई भी रेगुलेटर न होने की वजह से भारत में क्रिप्टोकरेंसी खरीदना जोखिम भरा है. निश्चल शेट्टी के मुताबिक, वास्तविक करेंसी (मुद्रा) की तरह यह कानूनी मुद्रा नहीं है, इसलिए किसी भी ट्रांजैक्शन में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. पिछले 3 से 5 साल में Bitcoin को डिजिटल गोल्ड की तरह देखने का नजरिया बदला है.
पॉन्जी स्कीम? रेगुलेटर नहीं होने की वजह से दुनियाभर में ट्रेड होने वाली इस Cryptocurrency के पॉन्जी स्कीम बनने का खतरा मंडरा रहा है. लेकिन शेट्टी का कहना है कि क्रिप्टो लेनदेन को चलाने वाली तकनीक ऐसा नहीं होने देगी. यह एक विकेंद्रीकृत संपत्ति है. पॉन्जी स्कीम के लिए एक अपराधी की जरूरत होती है, जो आपका पैसे लेकर भागने वाला हो. विकेंद्रीकृत प्रणाली में ऐसा नहीं हो सकता है.
सतर्क रहने की जरूरत फंड मैनेजर्स नॉन रेजिडेंट इंडियंस को क्रिप्टोकरेंसी ऑफर कर रहे हैं. खासकर उन लोगों को जिनके पास ज्यादा नेटवर्थ या रिस्क उठाने की क्षमता है. एडरॉयट पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज के फंड मैनेजर अमित कुमार गुप्ता के मुताबिक, हमने अपने सभी क्लाइंट्स को एसेट पोर्टफोलियों में 5-10 फीसदी पैसा गोल्ड से निकालकर बिटकॉइन में लगाने की सलाह दी है. गुप्ता के मुताबिक, यह सुझाव भारतीयों के लिए बिल्कुल नहीं है. क्योंकि, यह अभी तक रेगुलेटरी अप्रूवल नहीं मिला है. वहीं, शेट्टी इस बात से इतेफाक नहीं रखते. उनका मानना है कि बिटकॉइन में लिमिटेड सप्लाई है. जितनी देरी से इसमें घुसेंगे, उतना ही महंगा यह होता जाएगा. यह एक टेक्नोलॉजी है, किसी भी दिशा में जा सकती है. हर किसी को कुछ जोखिम लेने चाहिए, चाहे छोटा ही सही. 1 फीसदी से शुरुआत की जा सकती है. यह बिल्कुल वैसा है जैसे 1990 में डॉटकॉम बूम के वक्त लोगों ने डोमेन नेम खरीदे और 2005 में काफी ऊंची कीमतों पर बेच दिए.
क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स को लेकर चिंता? पिछले हफ्ते ऐसी मीडिया रिपोर्ट्स सामने आईं थी, जिनमें क्रिप्टोकरेंसी पर GST लगाने का संकेत दिया गया था, जिन्हें बाद में पूरी तरह भ्रामक और गलत बताया गया. शेट्टी और गुप्ता दोनों का कहना है कि कोई भी सरकारी गतिविधि सही दिशा में एक कदम होगी. उन्होंने यह भी माना कि सबसे बड़ी चुनौती रेगुलेटर स्पष्टता की कमी है.
मनी 9 का मंत्र क्रिप्टोकरेंसी में बेहद जोखिम और संभावित बड़ा लाभ है. अगर आपके पास 3 से 5 साल तक अतिरिक्त धन है तो ही इसमें निवेश का फायदा है, लेकिन पूरी तरह अपने जोखिम पर इसमें पैसा लगाएं. अगर आपके पास कोई अतिरिक्त फंड नहीं है तो रेगुलेटर को लेकर स्थिति साफ होने तक क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड से दूर ही रहें.
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