Cyber Insurance: बढ़ते साइबर क्राइम को देखते हुए, साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी रखना अहम हो जाता है. ऐसी पॉलिसी में पॉलिसी धारक को विभिन्न प्रकार के साइबर क्राइम और फ्रॉड के खिलाफ कवर दिया जाता है. इससे आपको ईमेल स्पूफिंग, आईटी चोरी, साइबर धमकी, ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड आदि स्थिति पर बीमा सुरक्षा मिलती है. कई कंपनियां इस तरह के प्लान पेश करती हैं. Money9 आपको बता रहा है कि कोई ऐसी पॉलिसी लेने से पहले किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए.
प्लान लेते समय अपने जोखिम का आकलन करें. देखें कि आपके फाइनेंशियल लेनदेन पर कितना खतरा है. इसके बाद अपनी इंश्योरेंस लिमिट तय करें.
बीमा कवर को अंतिम रूप में चुनने से पहले कंपनी द्वारा दिए जा रहे कवरेज को समझें. इससे आपको पता चलेगा कि कौन-कौन सी चीजें आपकी पॉलिसी में कवर हैं. आमतौर पर ऐसे प्लान 10 से 15 तरह के खतरों में सुरक्षा मुहैया कराते हैं.
जानकारों का कहना है कि अपने जोखिम को देखते हुए पॉलिसीधारक को पर्याप्त लिमिट लेना चाहिए. मसलन, ICICI Lombard या Bajaj Finserv अपने साइबर सेफ इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत 50 हजार रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का कवरेज पेश करती हैं.
कई कंपनियां डिडक्टिबल की शर्तें लागू करती हैं. इसमें पॉलिसीधारक को नुकसान की भरपाई पहले स्वयं करनी पड़ती है और उसके बाद बीमा कंपनियां भुगतान करती हैं. कई कंपनियों का प्रीमियम कम होता है, लेकिन डिडक्टिबल ज्यादा. जानकारों का कहना है कि भले ही ज्यादा प्रीमियम देना पड़े, लेकिन डिडक्टिबल को कम रखना चाहिए.
पॉलिसी में क्या शामिल किया गया है और क्या छोड़ा गया है, इसे समझें. क्योंकि ऐसी पॉलिसियों में व्यक्तिगत कारणों से होने वाले नुकसान या बौद्धिक संपदा के नुकसान को कवर नहीं किया जाता.
कुछ पॉलिसियों में कई एड-ऑन भी होते हैं. जैसे कि एटीएम कार्ड कवरेज. इसके अंतर्गत आपके एटीएम कार्ड के जरिए हुई धोखाधड़ी या चोरी को कवर किया जाता है.