भारत में गाड़ी खरीदने वाले हर शख्स के लिए अपने वाहन का इंश्योरेंस कराना जरूरी है. मोटर व्हेकिल एक्ट 1988 के मुताबिक बगैर इंश्योरेंस के गाड़ी चलाना दंडनीय अपराध है. आमतौर पर लोगों को विभिन्न प्रकार के मोटर इंश्योरेंस के बारे में जानकारी नहीं होती है. कार की बात करें तो इसके लिए 4 तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी होती हैं, जिनमें थर्ड पार्टी इंश्योरेंस और ओन डैमेज इंश्योरेंस भी शामिल हैं. मोटर इंश्योरेंस का मुख्य उद्देश्य अपनी गाड़ी को पूर्ण संरक्षण देना होता है. आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से….
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अनुसार कार के साथ थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराना कानूनी रूप से अनिवार्य है. इसके तहत आपकी गाड़ी से सड़क से किसी दुर्घटना के शिकार व्यक्ति या प्रॉपर्टी के तहत हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाता है. इसी पॉलिसी से आप पर बन रही देनदारियों का निपटारा होता है. कार वालों के लिए तीन साल और टू-व्हीलर के लिए पांच साल का थर्ड पार्टी कवर लेना जरूरी होता है. इस पॉलिसी में इंश्योरेंसकर्ता को कोई सीधा लाभ नहीं मिलता.
ओन-डैमेज इंश्योरेंस
इससे सिर्फ गाड़ी को होने वाले नुकसान की भरपाई की जाती है. इरडा के नियमों के मुताबिक गाड़ी में अपने-आप लगने वाली आग, बिजली गिरने, भूकंप, बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान की दशा में इस बीमा से जोखिम कवरेज होता है. चोरी-डकैती या आतंकवादी वारदातों से होने वाले नुकसान से भी इसके तहत कवरेज होता है.
कॉम्प्रिहैन्सिव पॉलिसी या पैकेज पॉलिसी
थर्ड पार्टी बीमा के साथ जब Own Damage Policy भी एक ही पैकेज में शामिल करके ली जाती है तो उसे कॉम्प्रिहैन्सिव पॉलिसी कहते हैं. ऐसी पॉलिसी से अन्य व्यक्ति व वाहन को नुकसान के साथ-साथ आपके वाहन को हुए नुकसान की भी भरपाई एक ही पॉलिसी से हो जाती है.
व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा
कार दुर्घटना में गाड़ी चलाने वाले को हुए शारीरिक नुकसान को व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा कवर करता है. थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की तरह इसे भी लेना अनिवार्य है. इसमें इसमें चालक और सामने वाली सीट पर बैठे दूसरे व्यक्ति के अलावा अन्य पैसेंजर्स को भी शामिल किया जा सकता है. हादसे में अगर कार चलाने वाली की मौत हो जाती है या स्थायी विकलांगता की स्थिति में उसे या उसके परिवार वालों को मुआवजा मिलता है. भारत में मोटर इंश्योरेंस के साथ व्हेकिल मालिक या ड्राइवर और साथ में बैठे व्यक%