2047 तक देश के हर नागरिक को जीवन, स्वास्थ्य और संपत्ति बीमा देने का लक्ष्य

देश में बीमा क्षेत्र का दायरा अब बढ़ने वाला है. बीमा नियामक इरडा ने इस उद्योग में बड़े पैमाने पर सुधार का प्रस्ताव किया है.

2047 तक देश के हर नागरिक को जीवन, स्वास्थ्य और संपत्ति बीमा देने का लक्ष्य

देश में बीमा क्षेत्र का दायरा अब बढ़ने वाला है. बीमा नियामक इरडा ने इस उद्योग में बड़े पैमाने पर सुधार का प्रस्ताव किया है. इस कवायद का लक्ष्य वर्ष 2047 तक देश के हर नागरिक को जीवन, स्वास्थ्य और संपत्ति बीमा कवर मुहैया कराना है. यह बीमा उद्योग में अब तक के सबसे बड़े सुधार हैं.

देश में बीमा की पहुंच महज 4.2 फीसद

देश में अभी बीमा का दायरा बहुत ही सीमित है. इरडा की ही रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2020-21 में देश में बीमा की पहुंच महज 4.2 फीसद थी. इसका मतलब है कि देश की जीडीपी में बीमा प्रीमियम की राशि का मात्र 4.2 फीसद योगदाना है. बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए ही नियामक पिछले कुछ महीनों से ताबड़तोड़ फैसले ले रहा है.

निवेश को बढ़ावा देने के लिए तमाम तरह के नियमों में ढील

नियामक की सोच है बीमा उद्योग में ज्यादा से ज्यादा कंपनियां आएं जो ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से उत्पाद मुहैया कराएं. इसी सोच के तहत नई बीमा कंपनियों के पंजीयन की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है. निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए तमाम तरह के नियमों में ढील दी गई है. बीमा उत्पाद बेचने वाले कॉरपोरेट और बीमा मार्केटिंग एजेंटों आजादी के साथ काम करने का प्रावधान किया गया है. बीमा कंपनियां बाजार से आसानी से पैसा जुटा सकें, इसकी भी व्यवस्था की गई है.

बीमा कंपनियों के पास 3500 करोड़ की नकदी आने का अनुमान

इरडा ने सॉल्वेंसी मार्जिन के एवज में रकम रखने संबंधी नियमों में रियायत दी है ताकि बीमा कंपनियों को पूंजी की कमी न रहे. सॉल्वेंसी मार्जिन घटने से बीमा कंपनियों के पास 3500 करोड़ रुपए की नकदी आने का अनुमान है. इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए बीमा कंपनियों में प्राइवेट इक्विटी फंड्स के सीधे निवेश को मंजूरी दे दी गई है. अभी तक पीई फंड्स को बीमा क्षेत्र में निवेश के लिए अलग से कंपनी गठित करनी पड़ती थी. अब इस अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है.

अब कंपनियां आजादी के साथ अपने कारोबार को रफ्तार दे पाएंगी

इसका मतलब यह हुआ कि उद्योग घरानों की अनुषंगी इकाइयां अब अपने बूते बीमा कारोबार शुरू कर सकेंगी. इसके साथ ही प्रमोटर की परिभाषा में भी बदलाव किया गया है. अभी तक 10 फीसद से ज्यादा इक्विटी रखने वालों को ही प्रमोटर माना जाता था. अब इस सीमा को बढ़ाकर 25 फीसद कर दिया है. नियामक ने बीमा कंपनी की कुल पेडअप कैपिटल की 25 फीसद तक हिस्सेदारी एकल निवेशक के पास रहने की मंजूरी दे दी है. यानी अब कंपनियां आजादी के साथ अपने कारोबार को रफ्तार दे पाएंगी.

बीमा सुगम पोर्टल शुरू करने खाका तैयार

नियामक ने बीमा सुगम पोर्टल शुरू करने खाका तैयार कर लिया है. इससे आम लोगों के बीच बीमा की पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी. माना जा रहा है कि जिस तरह डिजिटल लेनदेन में यूपीआई से क्रांति आई है उसी तरह यह पोर्टल देश में बीमा की पहुंच बढ़ाने में क्रांतिकारी कदम साबित होगा.

Published - November 30, 2022, 04:05 IST