उपभोक्ता के होम लोन की डील पक्की होते ही अधिकतर बैंक साथ में बीमा लेने का दबाव बनाते हैं. वैसे तो होम लोन के साथ बैंक से बीमा लेना अनिवार्य नहीं है, लेकिन ऐसा करना समझदारी भरा फैसला हो सकता है. जिंदगी के साथ जोखिम भी जुड़े हुए हैं. अगर घर के कमाऊ सदस्य, जिसके नाम पर होम लोन है, उसकी कारणवश मृत्यु हो जाती है तो परिवार दोहरे संकट में फंस जाता है. एक ओर परिवार चलाने के लिए पैसे की जरूरत होती है, दूसरी ओर घर की किस्त भी समय पर देनी होती है. ऐसे में अगर आप होम लोन लेते हैं तो उसका बीमा करा लेना भी समझदारी है, इससे आप अपने परिवार को हर मुश्किल से बचा सकते हैं.
बैंक आप से क्या कहते हैंॽ
अमूमन बैंक आप से लोन की देनदारी को सुनिश्चित करने के लिए सिंगल प्रीमियम टर्म इंश्योरेंस प्लान खरीदने के लिए कहते हैं. इस डील को लुभावना बनाने के लिए वे इस सिंगल प्रीमियम को लोन के साथ जोड़ देते हैं. इस तरह वैसे भी ग्राहकों को कोर्इ अग्रिम भुगतान नहीं करना पड़ता है. इसके बावजूद उनका लोन बीमित हो जाता है. नतीजा यह होता है कि र्इएमआर्इ की राशि थोड़ी बढ़ जाती है. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि आप उसी बैंक से बीमा कवर भी लें, जिससे आपने होम लोन कराया है या करवाना हो. आप बाजार में तमाम कंपनियों के उपलब्ध प्रस्तावों का अध्ययन कर तय कर सकते हैं
प्रीमियम जोखिम के हिसाब से
अगर आपने 20-25 लाख रुपये का लोन लिया है तो आपको एक या दो लाख रुपये बीमा के लिए देने पड़ सकते हैं. इसके लिए टर्म इंश्योरेंस की तरह सिर्फ एक बार प्रीमियम देना होता है. आप चाहें तो यह रकम अलग से दें या लोन की कुल राशि में जुड़वा लें और उस हिसाब से यह आपकी ईएमआई में से कटता रहेगा. हालांकि एकबारगी प्रीमियम देने वाले को सरेंडर की सुविधा भी कुछ शर्तों के साथ मिलती है. बैंकिंग के साथ बीमा सेवाएं देने वाले वित्तीय संस्थान होम लोन प्रोटेक्शन प्लान के ऑफर दे देते हैं.
टर्म इंश्योरेंस से महंगा
होम लोन बीमा कवर हालांकि टर्म इंश्योरेंस से महंगा होता है. अगर आप पांच साल का टर्म इंश्योरेंस करवाते हैं तो होम लोन प्रोटेक्शन प्लान की तुलना में 30-40 फीसदी तक सस्ता होता है, लेकिन दोनों के अलग-अलग फायदे होते हैं. एक अंतर है कि होम लोन बीमा कवर सिर्फ पांच साल के लिए होता है और इसे दोबारा नवीनीकरण कराना पड़ता है. जबकि प्योर टर्म इंश्योरेंस प्लान ताउम्र काम करता है. अगर आपके पास पहले से ही टर्म इंश्योरेंस प्लान है तो उसे होम लोन के बराबर की राशि के साथ टॉप अप करें. मौजूदा कवर के साथ होम लोन की देनदारी को अडजस्ट नहीं करें.
कब नहीं मिलेगा इंश्योरेंस का फायदा?
होम लोन किसी और के नाम शिफ्ट करते हैं या समय के पहले बंद करते हैं तो बीमा कवर खत्म हो जाता है. स्वाभाविक मृत्यु या आत्महत्या के मामले भी होम लोन प्रोटेक्शन प्लान के दायरे में नहीं आते हैं. हालांकि अगर आप लोन को दूसरे बैंक में ट्रांसफर कराते हैं, प्री-पेमेंट या रिस्ट्रक्चर कराते हैं तो होम लोन इंश्योरेंस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.