Term Plan: टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय अक्सर एक सवाल दिमाग में आता है – अगर पॉलिसी पूरी होने तक डेथ नहीं हुई तो क्या पूरा प्रीमियम डूब जाएग? नॉर्मल टर्म प्लान में किसी भी तरह की मैच्योरिटी नहीं होती है. यानी सिर्फ डेथ होने पर ही पैसा मिलता है. अगर पॉलिसी होल्डर सर्वाइव कर गया तो पैसा नहीं मिलेगा. जबकि रिर्टन ऑफ प्रीमियम प्लान दो प्लान से बनता है – प्योर टर्म प्लान और सेविंग प्लान. इस प्लान में टर्म प्लान के बेनिफिट के साथ साथ मैच्योरिटी पे प्रीमियम भी वापस मिल जाता है.
एक प्योर टर्म इंश्योरेंस प्लान (Term Plan) वह होता है, जो एक पूर्व निश्चित वर्षों की अवधि के लिए कवरेज प्रदान करता है. यह अवधि 5 से 45 वर्ष के बीच कुछ भी हो सकती है. इस प्लान में पॉलिसीधारक के नॉमिनी को मेन प्लान बेनिफिट यानि सम एश्योर्ड मिलने का अधिकार रहता है, जो पॉलिसी अवधि के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर दिया जाता है. लेकिन इस प्लान में कोई भी मैच्योरिटी यानि परिपक्वता रकम देने का नियम नहीं है.
रिटर्न ऑफ प्रीमियम (ROP) इंश्योरेंस का मतलब यह हुआ कि आपके द्वारा चुकाए गए सभी प्रीमियम आपको मैच्योरिटी बेनिफिट के रूप में वापस मिल जाते हैं. एक पॉलिसी ग्राहक के रूप में आप अपनी जरूरतों के अनुसार पॉलिसी की अवधि चुन सकते हैं. आमतौर पर भारतीय ग्राहक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों से कुछ न कुछ रिटर्न की उम्मीद जरूर रखते हैं, फिर चाहे यह उनके द्वारा चुकाए गए प्रीमियम की राशि ही क्यों ना हो.
एक प्योर टर्म इंश्योरेंस प्लान जीवन बीमा का सबसे सस्ता ऑप्शन है. यह आपसे सिर्फ बीमा कवर का चार्ज लेता है.
दूसरी तरफ ROP के प्रीमियम अधिक होते हैं क्योंकि मैच्योरिटी पर यह आपको कुल प्रीमियम वापस लौटाने का वादा करती हैं.
टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी यानी टर्म प्लान सरेंडर (Term Plan Surrender) करते ही आपकी पॉलिसी समाप्त हो जाती है. आपको चुकाए गए प्रीमियम का एक भी पैसा वापस नहीं किया जाता है. वहीं, पॉलिसी चालू रहने के कुछ वर्षों के बाद ही ROP का कुछ सरेंडर वैल्यू बनता है.
ROP के लिए बीच में पॉलिसी समाप्त करने पर आपको भारी शुल्क भी देना होता है.
बाजार में इस वक्त मौजूद स्टैंडर्ड प्रीमियम भुगतान विकल्पों में वार्षिक, अर्ध-वार्षिक, त्रैमासिक और मासिक भुगतान विकल्प शामिल हैं. वहीं, कुछ इंश्योरेंस कंपनियां एक सिंगल प्रीमियम भुगतान विकल्प भी देती हैं.