उत्तराखंड में आई त्रासदी के बाद भी लोग सबक नहीं ले रहे हैं. आज भी लोग ऐसे ही जोखिम वाली जगहों पर प्रॉपर्टी का निर्माण कर व्यवसाय कर रहे हैं. ऐसी ही प्रॉपर्टीज को ध्यान में रखते हुए भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (irda- insurance regulatory and development authority of india) ने संवेदनशील इलाकों में बनाई गई बीमाकृत संपत्तियों के लिए एक अलग प्रीमियम की शुरुआत करने का प्रस्ताव रखा है. आईआरडीएआई ने एक अवलोकन किया, जिसमें देखा गया कि लोग उसी स्थान पर अपने व्यापार को शुरू कर रहे हैं जहां उन्हें प्राकृतिक आपदा (natural disaster) का सामना करना पड़ा था.
जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदा के बढ़ते जोखिम को देखते हुए भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (irda) की सदस्य एस एन राजेश्वरी ने सम्मेलन में एक रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि भारत विश्व का सातवां सबसे ज्यादा जलवायु प्रभावित देश है. यह रिपोर्ट फरवरी में पर्यावरण थिंक टैंक जर्मनवॉच द्वारा (ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2021) प्रकाशित की गई थी.
सदी में आने वाले तूफान अब प्रतिवर्ष आ रहे हैं
टीओआई (टाइम्स ऑफ इंडिया) की खबर के मुताबिक राजेश्वरी ने राष्ट्रीय बीमा अकादमी द्वारा आयोजित वार्षिक बीमा शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “सदी में आने वाले तूफान अब प्रतिवर्ष आ रहे हैं. इन सब को देखते हुए अब हमें कुछ अलग करने की जरूरत है क्योंकि देश में स्थिति बदल रही है. उत्तराखंड केदारनाथ त्रासदी के बाद जोशीमठ हादसे ने एक बार फिर से जलवायु परिवर्तन की ओर सभी का ध्यान खींचा है.”
ऐसी जगहों पर निर्माण करने से बचें
उन्होंने आगे कहा, हम देख रहे हैं कि जोखिम वाले क्षेत्रों में लोग निर्माण अधिक संख्या में कर रहे हैं. जोखिम वाले क्षेत्रों में प्रापर्टी निर्माण की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. हमें इसमें जल्द सुधार की करने की आवश्यकता है. राजेश्वरी ने कहा कि केवल बीमा के नियमों को बदलने से कुछ नहीं होगा लोगों को अब जागरूक होने की जरूरत है. लोग जोखिम वाली जगहों पर निर्माण न करें जिससे उन्हें अधिक नुकसान न हो. उन्होंने कहा कि बीमा सुरक्षा प्रदान करने के अलावा जोखिमों के बारे जागरूकता भी बढ़ता है. उन्होंने लॉयड्स के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि बीमा कवरेज में 1% की वृद्धि से जलवायु आपदाओं की वैश्विक लागत में 22 फीसदी की कमी आ सकती है.