Policy Claim: जीवन का कुछ पता नहीं है. कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता है. इसलिए एक्सपर्ट पॉलिसी लेने की सलाह देते हैं, लेकिन कभी सोचा है कि अगर पॉलिसीधारक किसी कारण से लापता हो जाए, तब परिवार का क्या होगा. परिवार कैसे ऐसी पॉलिसी के लिए क्लेम (Policy Claim) कर सकेगा. आज हम आपके इन्हीं सवालों का जवाब देने आए हैं.
LIC आगरा के प्रशासनिक अधिकारी आईटी सुरेंद्र कुमार के मुताबिक, मृत्यु प्रमाण पत्र के बिना क्लेम न कर पाने की मजबूरी एवं दूसरे नियमों के चलते क्लेम लेने में दिक्कतें आती हैं.
इसके लिए कुछ कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा. जैसे पॉलिसीधारक लापता हो जाता है, तो सबसे पहले उसके वारिस इंश्योरेंस ऑफिस में जाकर सूचित करें.
पॉलिसीधारक के लापता होने पर परिवार को चाहिए कि वे पॉलिसी को जारी रखें. यानी उसका प्रीमियम समय समय पर अदा करते रहें. इससे पॉलिसी बंद नहीं होगी, साथ ही उस पर मिलने वाले सभी लाभ बने रहेंगे.
पॉलिसीधारक के परिवार को कोर्ट में मुकदमा डालना होगा. यह इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत होता है. व्यक्ति की गुमशुदगी को साबित करने के लिए कानूनी वारिसों को FIR की कॉपी और पुलिस की नॉन-ट्रेसेबल रिपोर्ट भी जमा करनी होगी.
अगर जांच में व्यक्ति के सही में लापता होने की पुष्टि होती है, तो कोर्ट की ओर से उसे मृत माना जा सकता है. ऐसी स्थिति में कोर्ट इंश्योरेंस कंपनी को भुगतान के लिए कह सकती है.
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, धारा 108 के अनुसार परिवार वालों को लापता व्यक्ति की गुमशुदगी की FIR दर्ज करानी होगी.
अगर पुलिस की ओर से व्यक्ति की तलाश नहीं की जा सकी तो सात साल बाद इंश्योरेंस क्लेम किया किया जा सकता है. क्योंकि इस अवधि के दौरान गुमशुदा व्यक्ति को मृत मान लिया जाता है.
अगर प्राकृतिक आपदाओं जैसे- बाढ़, भूकंप, सूखा, आदि के कारण बीमाधारक लापता हुआ है और सरकार इस दौरान गुम हुए लोगों को मृत मान लेती है.
साथ ही लापता व्यक्तियों की सूची जारी करती है, तो परिवार के सदस्य क्लेम के लिए आवेदन कर सकते हैं. ऐसे में 7 साल का इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ती है.