MWPA: क्या एक पर्याप्त जीवन बीमा खरीदना ही आपके परिवार को आर्थिक रूप से सुरक्षित रखने के लिए काफी है? कोविड -19 महामारी के चलते कई लोगों ने बिना सोचे समझे फर्स्ट एड बॉक्स की तरह, अपने परिवार के लिए जीवन बीमा पॉलिसी खरीद ली हैं. पर क्या आप जानते हैं कि आपके बीमे की रकम सही लोगों तक कैसे पहुंच सकती है? और क्या जरूरत पड़ने पर ये सही मायनों में आपके काम आएगा? क्या आप उन नियमों और शर्तों से अच्छी तरह से वाकिफ हैं जो क्लेम लेते वक्त आपको पता होने चाहिए?
अब मान लें कि एक साल पहले आपने किसी हेल्थ इमरजेंसी के चलते कोई बड़ा लोन लिया और साथ ही 1 करोड़ रुपये की बीमा पॉलिसी भी खरीद ली. तो क्या इस मामले में आपकी आकस्मिक मौत की स्थिति में आपकी बीमा राशि पर आपके लेनदार का पहला हक होगा?
एक मृत व्यक्ति की संपत्ति को हमेशा उसके कर्ज के भुगतान के लिए किया जाता है. जब मृतक व्यक्ति की वित्तीय संपत्ति पर अधिकारों की बात आती है तो परिवार के सदस्य / कानूनी उत्तराधिकारी, लेनदारों के बाद दूसरे स्थान पर माने जाते हैं.
पर अगर आप अपनी पॉलिसी को एमडब्ल्यूपी अधिनियम(MWPA) के दायरे में लाते हैं, तो इस केस में बीमे की रकम को आपकी संपत्ति से बाहर माना जाएगा और किसी भी मौजूदा देनदारियों के भुगतान के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
ये सुविधा आपको गारंटी देगी कि किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के मामले में बीमा की रकम आपकी पत्नी और बच्चों को ही दी जाए.
जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते समय आपको एक नामांकित व्यक्ति(Nominee) का नाम देना होता है. युवा और अविवाहित सामान्य तौर पर नॉमिनी के रूप में अपने पिता या माता का नाम देते हैं. पर शादी के बाद ज्यादातर मामलों में नामित व्यक्ति जीवनसाथी होता है.
“अतीत में ऐसे मामले आए हैं जहां मृत व्यक्ति की मां और विधवा दोनों ने ही बीमे की रकम पर अपना दावा किया है. इस दुविधा से बचने के लिए कोई भी व्यक्ति अपनी पॉलिसी को एमडब्ल्यूपीए अधिनियम(MWPA Act) के तहत रख सकता है.
ये सुनिश्चित करेगा कि दावे की रकम पत्नी को ही ट्रांसफर की जाए, “रिया इंश्योरेंस ब्रोकर्स(Ria Insurance Brokers) के संस्थापक एसके सेठी ने कहा.
यहां इस बात का ध्यान रखें कि सिर्फ विवाहित पुरुष ही इस सुविधा का विकल्प चुन सकते हैं और साथ ही आपकी पॉलिसी को एमडब्ल्यूपी अधिनियम के तहत लाने का निर्णय खरीद के समय ही लिया जा सकता है.
इसका मतलब है कि आपके मौजूदा टर्म प्लान्स को एमपीडब्ल्यू के तहत संशोधित और खरीदा नहीं जा सकता. इस बीच, ये नीति विपरीत रूप से काम नहीं करती यानि एक पत्नी अपने पति को लाभार्थी बना कर इस अधिनियम का फायदा नहीं उठा सकती है.
नियमित वेतनभोगियों के अलावा, व्यवसायियों को खास तौर पर अपने बीमा को MWPA के तहत लाने की सिफारिश की जाती है क्योंकि यह दिवालिया होने की स्थिति में मददगार हो सकता है.
आम धारणा है कि MWPA के तहत टर्म पॉलिसी खरीदने से एक ट्रस्ट का निर्माण होता है, जिसमें दावे की रकम ट्रांसफर की जाती है.
सेठी कहते हैं इसके उलट इस सुविधा को ‘एक तरफ की प्रतिबद्धता’ (‘one side commitment’) कहा जा सकता है, जिससे बीमाकर्ता दावे की रकम सीधे विधवा को देता है.
मूल पॉलिसी कागजात(original policy papers), विवाह प्रमाण पत्र(marriage certificate), मृत पति का मृत्यु प्रमाण पत्र (death certificate) जैसे जरूरी दस्तावेज जमा करने पर दावे की रकम सीधे विधवा के खाते में जाती है.
बीमा पॉलिसी को MWPA के दायरे में लाने की बात तो सही लगती है फिर हर कोई इसका चुनाव क्यों नहीं करता? तो आपको बताते हैं कि आपके लिए यहां क्या गलत साबित हो सकता है.
एमडब्ल्यूपी अधिनियम सख्ती से पत्नी और बच्चों की वित्तीय सुरक्षा देने के लिए लागू किया गया है. यानि ये केवल लाभार्थियों के लिए निर्धारित किया गया है. इसका मतलब है कि अगर पॉलिसीधारक अपना टर्म प्लान पूरा कर लेता है तो उसे आखिर में कुछ भी नहीं मिलेगा.
इसके अलावा सेठी बताते हैं, “एमडब्ल्यूपी अधिनियम (MWP Act ) के तहत एक बार नामांकित व्यक्ति का फैसला हो जाने के बाद, इसे बाद में बदला नहीं जा सकता. इसलिए ये एक तरफा निर्णय है और तथ्यों को जानने के बाद ही इसका इस्तेमाल होना चाहिए”.
हालांकि, उन्होंने कहा कि अधिनियम के मुताबिक सिर्फ मौजूदा नामांकित व्यक्ति की मौत या तलाक के बाद ही नॉमिनी का नाम बदला जा सकता है.