लोन या आंशिक निकासी? अपनी बीमा पॉलिसी से उधार लेने का पूरा कॉन्सेप्ट समझें

Loan On Policy: एंडोवमेंट पॉलिसी में लोन मिल जाता है. जबकि यूनिट लिंक्ड बीमा योजना में नकदी की जरूरत होने पर आंशिक निकासी की अनुमति होती है.

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सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो को इंटरेस्ट रेट पर सब्सिडी देती है. जितना भी आपका मोरेटोरियम पीरियड होता है उस दौरान ब्याज सरकार चुकाती है.

सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो को इंटरेस्ट रेट पर सब्सिडी देती है. जितना भी आपका मोरेटोरियम पीरियड होता है उस दौरान ब्याज सरकार चुकाती है.

Loan On Policy: जब भी हमें छोटी अवधि के लिए पैसों की जरूरत होती है, तो हमें लगता है कि हम अपने इंश्योरेंस पॉलिसी की मदद ले सकते हैं. हालांकि, ये प्लान्स अलग-अलग तरह के होते हैं. एंडोवमेंट पॉलिसी के तहत तो लोन मिल जाता है. जबकि यूनिट लिंक्ड बीमा योजना में नकदी की जरूरत होने पर आंशिक निकासी की ही अनुमति होती है. एक बीमा पॉलिसी पर लोन (Loan On Policy) तभी लिया जा सकता है जब पॉलिसीधारक ने बीमा अवधि के तीन वर्ष पूरे कर लिए हों. आज हम यहां इसी कांसेप्‍ट के बारे में बात करने जा रहे हैं.

सरेंडर वैल्यू का 30 फीसदी लोन

PolicyX.com के संस्थापक और सीईओ नवल गोयल ने बताया, “एक पॉलिसीधारक गारंटीड प्लान्स पर लोन ले सकता है, जिसमें सरेंडर वैल्यू का 30 फीसदी लोन दिया जाता है.

इसके लिए जरूरी है कि प्लान को लगातार कम से कम तीन वर्ष पूरे हो गए हों. क्योंकि सरेंडर वैल्यू तीन साल पूरा होने के बाद ही जनरेट होता है.”

उन्होंने आगे बताया कि उदाहरण के लिए अगर कोई पॉलिसीधारक सालाना बीमा के लिए एक लाख रुपये का भुगतान कर रहा है और पांच साल की अवधि में पहले ही पांच लाख रुपये का भुगतान कर चुका है, तो सरेंडर वैल्यू तीन लाख रुपये होगी.

लोन तीन लाख रुपये का 30% दिया जाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा पॉलिसी कभी भी इस पर लोन लेने के लिए नहीं खरीदनी चाहिए.

आंशिक निकासी पूरी तरह से अलग कॉन्सेप्ट

यूलिप में 5 साल बाद आंशिक निकासी की अनुमति है. गोयल ने आगे बताया, “आंशिक निकासी पूरी तरह से एक अलग कॉन्सेप्ट है जो यूलिप प्लान्स में उपलब्ध है.

आंशिक निकासी के तहत पॉलिसी अवधि के समाप्त होने से पहले एडवांस में रकम निकाली जा सकती है. हालांकि, इसके तहत पॉलिसी के पांच साल पूरे होने के बाद ही निकासी की अनुमति है.”

आंशिक निकासी और मनी बैक हैं ज्यादा किफायती

बीमा पॉलिसी के एवज में लोन लेना कम किफायती तरीका है. आपकी पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू इस बात पर निर्भर करती है कि आपकी पॉलिसी को कितना समय हो गया है.

गोयल ने कहा, “ब्याज दर हर बैंक में अलग-अलग होती है, लेकिन यह आमतौर पर न्यूनतम 8% से अधिकतम 15% के बीच होती है.”

आंशिक निकासी और मनी बैक तुलनात्मक रूप से ज्यादा किफायती है. गोयल ने कहा, “बीमा पॉलिसी पर मिलने वाला रिटर्न लोन की वजह से प्रभावित नहीं होता है क्योंकि लोन बाहरी स्रोत से लिया जाता है और आंशिक निकासी के मामले में पॉलिसीधारक को आंशिक निकासी के बाद लंबित राशि मिल जाती है.”

तो क्या करें?

अगर आपको छोटी अवधि के लिए रकम की जरूरत है, तो विशेषज्ञ यूलिप में आंशिक निकासी का सुझाव देते हैं. अगर आपने 1 या 2 वार्षिक प्रीमियम ठीक भरे हैं, तो पांच साल बाद रकम निकाल सकते हैं, लेकिन यह हर पॉलिसी में अलग-अलग होती है.

इसके अलावा, सभी पॉलिसियों पर लोन और आंशिक निकासी की सुविधा नहीं होती है. गोयल ने कहा, “आम तौर पर, लोन लेने का सुझाव नहीं दिया जाता है. क्योंकि लोन का मूल्य यानी 30% लोन के लिए काफी कम है.

पॉलिसीधारक को पॉलिसी के प्रीमियम के साथ-साथ लोन के ब्याज का भुगतान भी करना पड़ता है, जो कि पॉलिसी धारक को थोड़ा महंगा लग सकता है.

हालांकि, एक्सपर्ट आंशिक निकासी का सुझाव अब भी देते हैं, क्योंकि यह अपनी बचत को एडवांस में लेने की तरह है और यह पॉलिसीधारक पर किसी प्रकार का बोझ भी नहीं डालता है.”

Published - July 22, 2021, 03:20 IST