देश में हेल्थ केयर कॉस्ट हर साल 15-18% की दर से बढ़ रही है. हाल ही में, अस्पतालों ने भी कोविड -19 की दूसरी लहर के बाद अपने टैरिफ रेट में वृद्धि की है, जिसकी वजह से आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम रेट में बढ़त होगी. हालांकि, अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण एक परिवार का बजट भी कम हो रहा है. ऐसे में को-पेमेंट (co-payment) आपके प्रीमियम रेट को कम करने का एक अच्छा तरीका है.
को-पेमेंट (co-payment) वो सुविधा है जिसमें आप अपनी जेब से अस्पताल के बिलों का एक निश्चित प्रतिशत का भुगतान करते हैं जबकि शेष भुगतान इंश्योरेंस कंपनी द्वारा किया जाता है. को-पेमेंट का ऑप्शन चुनकर आप अपनी पॉलिसी की प्रीमियम दरों को काफी हद तक कम कर सकते हैं. नियम कहता है कि को-पेमेंट जितना ज्यादा होगा समान अनुपात में प्रीमियम उतना ही कम होगा. इसलिए, यदि पॉलिसी होल्डर 20% को-पेमेंट का ऑप्शन चुनता है तो प्रीमियम रेट भी 20% कम हो जाएगा.
यह सुविधा उन लोगों के लिए काफी मददगार है जो हेल्थ पॉलिसियों को बहुत महंगा लगने के कारण उन्हें नहीं लेते हैं. सीनियर सिटीजन के लिए पॉलिसी कंसीडर करना आमतौर पर बहुत महंगा होता है. को-पेमेंट उनके लिए एक ही समय में प्रीमियम रेट को कम करने के साथ ही कवर का ऑप्शन देता है. को-पेमेंट का परसेंटेज पॉलिसी होल्डर के भुगतान करने की क्षमता पर निर्भर करता है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि को-पेमेंट 10-15% रखने की सलाह दी जाती है क्योंकि क्लेम सेटलमेंट के समय इसे मेंटेन करना बहुत महंगा नहीं है और प्रीमियम को भी ये कंट्रोल में रखता है.
सबसे जरूरी बात है कि एक हेल्थ फंड बनाना चाहिए ताकि हॉस्पिटलाइजेशन के समय पैसों की कमी होने पर ये फंड आपकी मदद कर सके. इसका इस्तेमाल केवल किसी भी मेडिकल इमरजेंसी के लिए किया जाना चाहिए. इसलिए सलाह दी जाती है कि ये फंड बनाने के लिए अपने पैसे को फिक्स्ड डिपॉजिट या अल्ट्रा शॉर्ट टर्म डेट फंड में लगाएं.
सबसे जरूरी बात, आम तौर पर, मौजूदा पॉलिसी से को-पेमेंट या डिडक्टिबल क्लॉज को हटाने का ऑप्शन नहीं है. इसलिए, नया कवर लेने या मौजूदा पॉलिसी को रिन्यू करने से पहले पॉलिसी के नियमों और शर्तों को ध्यान से पढ़ें. हालांकि को-पेमेंट और डिडक्टिबल प्रीमियम कम करने में मदद करते हैं, लेकिन ये अस्पताल के बिलों का भुगतान करते समय आपके क्लेम अमाउंट को भी कम कर देते हैं.