कोरोना की वजह से OPD ट्रीटमेंट का खर्च बढ़ गया है. कई बार तो साल में चार से दस हजार तक का ओपीडी खर्च आ जाता है. आम तौर पर सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस में इसे कवर नहीं किया जाता. इस स्थिति में ऐसी पॉलिसी की जरूरत होती है, जो खर्च को कवर करे. मसलन, Reliance General Insurance Company ने हाल में इस तरह का एक प्रोडक्ट पेश किया है. इसका नाम Digital Care Management पॉलिसी है. बीमा नियामक इरडा ने इसे मंजूरी भी दे दी है.
कंपनी के ईडी और सीईओ राकेश जैन बताते हैं, “कोविड-19 की वजह से अस्पतालों में ओपीडी ट्रीटमेंट की संख्या में अच्छा-खासा इजाफा देखने को मिला. इसलिए ऐसी पॉलिसी की जरूरत महसूस हुई जो ओपीडी खर्च को भी कवर करे. Digital Care Management में इसकी सुविधा दी जा रही है.”
यदि आप भी OPD प्लान खरीदने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो इन बातों का रखें ख्याल:
सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस तभी प्रभावशाली होता है जब कोई 24 घंटे से अधिक तक अस्पताल में भर्ती होता है. इसमें डॉक्टर विजिट का खर्च कवर नहीं किया जाता. OPD प्लान में बाह्य रोगी विभाग के खर्च को भी कवर किया जाता है. इसमें डॉक्टर की फीस, दवाई का खर्च वगैरह शामिल होता है.
हालांकि, यदि कोई एक दिन से अधिक तक अस्पताल में भर्ती रहता है तो ओपीडी खर्च को कवर किया जाता है. इसमें प्री-हॉस्पिटलाइजेशन की अवधि 30 से 90 दिनों की होती है, जबकि पोस्ट-हॉस्पिटलाइजेशन की अवधि 60 से 180 दिनों की होती है. OPD प्लान को बेस प्लान के साथ भी लिया जा सकता है, या फिर राइडर के तौर पर भी खरीदा जा सकता है. OPD प्लान की बीमित राशि की एक निश्चित सीमा होती है.
ज्यादातर क्लेम का निबटारा रिइम्बर्समेंट के जरिए किया जाता है. इसके लिए पॉलिसीधारक को बिल समेत एक फार्म भरना होता है. कई कंपनियां इसकी ऑनलाइन सुविधा भी देती हैं.
बीमित राशि के हिसाब से OPD प्लान का प्रीमियम महंगा होता है. उदाहरण के लिए. यदि किसी ने 5 हजार रुपए का ओपीडी कवर लिया है तो प्रीमियम की राशि 3.5 हजार तक हो सकती है. इस प्लान में व्यक्तिगत और फैमिली फ्लोटर का विकल्प दिया जाता है.
ध्यान रहे कि बेसिक हेल्थ प्लान लेने बाद ही ओपीडी प्लान लेना चाहिए, ताकि आपको और आपके परिवार को ज्यादा सुरक्षा मिल सके.