क्रिटिकल ईलनेस कवर खरीदने से पहले इन बातों का रखें ख्याल

ऐसे प्लान को कम उम्र में लेना अच्छा होता है. जब आप युवा होते हैं तो जोखिम भी कम होता और इसकी लागत भी कम होती है.

  • Team Money9
  • Updated Date - October 5, 2021, 09:21 IST
Insurance Portability:

जब कोई पॉलिसी होल्‍डर अपने मौजूदा प्लान को दूसरी कंपनी के प्लान में तब्दील करता है तो इसे इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी कहते हैं.

जब कोई पॉलिसी होल्‍डर अपने मौजूदा प्लान को दूसरी कंपनी के प्लान में तब्दील करता है तो इसे इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी कहते हैं.

critical illness cover: हाल में आई NCRP रिपोर्ट 2020 (National Cancer Registry Programme) के मुताबकि 2025 तक भारत में कैंसर के मामलों की संख्या 15.7 लाख तक हो सकती है, जो कि 2020 में 13.9 लाख थी. इस रिपोर्ट को ICMR ने जारी किया है.
इस तरह की बीमारियों पर होने वाले खर्च को देखते हुए, ज्यादा से ज्यादा लोग अब क्रिटिकल ईलनेस इंश्योरेंस प्लान खरीद रहे हैं. इस प्लान में इलाज और स्वास्थ्य सुधार के खर्च को कवर किया जाता है.

क्रिटिकल ईलनेस प्लान में कैंसर, हार्ट अटैक, किडनी की बीमारी, वगैरह को शामिल किया जाता है. ज्यादातर बीमा कंपनियां करीब 36 तरह की बीमारियों को कवर करती हैं. किसी भी व्यक्ति को कई तरह के क्रिटिकल ईलनेस प्लान खरीदने चाहिए.

नियम के मुताबिक, बीमारी की पहचान होने के 30 दिनों बाद कोई व्यक्ति जीवित रहता है तो उसे एक निश्चित राशि दी जाती है. ध्यान रहे कि हेल्थ या लाइफ इंश्योरेंस साथ भी क्रिटिकल ईलनेस कवर हासिल किया जा सकता है. किंतु, क्रिटिकल ईलनेस कवर लेने से पहले कई पहलूओं पर ध्यान देना चाहिए.

इससे पहले मार्केट में उपलब्ध विभिन्न प्लान के बारे में अच्छे से रिसर्च करना चाहिए. इस दौरान सभी तरह से नियम-शर्तों को समझ लेना चाहिए. इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस बीमारी का आपको खतरा हो, उसका कवर अवश्य लेना चाहिए.

साथ ही आयु की अधिकतम सीमा पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि 60 वर्ष की उम्र के बाद ऐसे कवरेज हासिल करना मुश्किल हो जाता है. साथ ही ऐसा प्लान लेना चाहिए जो जीवनभर आपको कवरेज प्रदान करे. इस दौरान बीमा एजेंट से सभी बातों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए.

कई कंपनियां, सामान्य लागत पर पहले से मौजूद बीमारी को कवर करती हैं. किंतु, इससे आपकी पॉलिसी का मूल्य बढ़ सकता है. बीमा का सबसे दुश्कर हिस्सा क्लेम दाखिल करना होता है. सबसे अधिक दिक्कत तो तब होती है, जब मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति हो और ढेर सारे दस्तावेजों की मांग की जाए. इसलिए, ऐसी बीमा कंपनी को चुनना चाहिए जिसके क्लेम सेटलमेंट का रिकॉर्ड अच्छा हो.

क्रिटिकल इंश्योरेंस में एक तय वेटिंग पीरियड होता है, इसके पहले आप सुविधाओं को प्राप्त नहीं कर सकते. पॉलिसी खरीदने के 90 दिनों के भीतर कंपनियां क्लेम स्वीकार नहीं करतीं. हालांकि, पॉलिसी रिन्यूअल की स्थिति में वेटिंग पीरियड की शर्त नहीं होती. इसलिए, किसी भी पॉलिसी के नियम-शर्तों को अच्छे से समझ लेना चाहिए.

Published - October 5, 2021, 09:21 IST