किसी भी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट (portfolio management ) में बीमा (Insurance ) और निवेश (Investment) समान अहमियत रखते हैं. आप इन दोनों में से किसी एक को नहीं चुनते बल्कि दोनों को साथ में लेकर चलना ही समझदारी है. आज का युवा वित्तीय (financial) मामलों में अभी भी कम समझदार कहा जाएगा पर हां ये कहना गलत नहीं होगा कि इस स्थिति में धीरे-धीरे सुधार दिख रहा है.
ये लोग अब अपने टैक्स (taxes) और इन्वेस्टमेंट्स (investments ) को लेकर अपने पिता या किसी रिश्तेदारों पर निर्भर नहीं हैं. बल्कि इन मामलों को अब ये अपने हाथों में ले रहे हैं. निवेश की बात आते ही 20 साल के नौजवान के मन में सवाल आता है कि कोई जिम्मेदारी ना होने पर भी क्या उन्हें बीमे की जरुरत है. शुरूआती सैलरी की रकम से जो बचता है उसमें उन्हें निवेश पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए या फिर बीमा भी खरीदना चाहिए? मनी 9 हेल्पलाइन (Money9 Helpline) ने (माईमनीमंत्रा) के मैनेजिंग डायरेक्टर और फाउंडर, राज खोसला से इस बारे में उनकी एक्पर्ट एडवाइस ली.
अनीश तिवारी, इंदौर: मेरी उम्र 22 साल है और मेरी सालाना आय 4 लाख रुपये से कम है. मैंने अपना करियर छ महीने पहले ही शुरू किया था. मेरे उपर अभी कोई जिमेमदारी नहीं है, लेकिन एक बीमा सलाहकार ने मुझे यह कहते हुए एक टर्म इंश्योरेंस खरीदने के लिए कहा कि प्रीमियम बहुत कम है. उन्होंने इससे होने वाले टैक्स बेनिफिट्स के बारे में भी बताया. मुझे क्या करना चाहिए? क्या मुझे टर्म प्लान खरीदना चाहिए या म्यूचुअल फंड निवेश शुरू करना चाहिए?
राज खोसला: किसी भी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के एक जैसे दो पहलू हैं, बीमा और निवेश। आप इन दोनों में से किसी एक को नहीं चुनते बल्कि दोनों रास्तों पर साथ चलते हैं जिससे वित्तीय सुरक्षा (financial security) सुनिश्चित की जा सके. 22 साल की उम्र में, आपके पास कोई देनदारी नहीं है और आपके पास फाइनेंशियल प्लान बनाने के लिए काफी समय भी है. इसलिए जिंदगी के शॉर्ट, मीडियम और लॉंग टर्म गोल की जरूरतों को पूरा करने के लिए, बचत की आदत डालने का ये एकदम सही समय है.
आपको सबसे पहले एक पर्याप्त हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस प्लान लेना चाहिए. और इसी के साथ जिंदगी के दूसरे गोल्स और रिटायरमेंट के लिए भी एसआईपी (SIPs) में निवेश करना चाहिए. इस उम्र में आप 7,000 रुपये सालाना प्रीमियम पर 10 लाख रुपये का हेल्थ बीमा कवर और 15,000 रुपये में 1 करोड़ रुपये का टर्म कवर खरीद सकते हैं. अगर आप जल्दी शुरू करते हैं तो आपको प्रीमियम की कम रकम देने के साथ ही दूसरी कई सुविधाओं का फायदा मिलेगा. इसलिए सोचने में देर ना करें. और तो और आप यू/एस 80-डी (u/s 80-D ) के तहत, मेडिकल इंश्योरेंस पर 25,000 तक रु का एन्यूअल डिडकशन क्लेम करने के साथ ही आई-टी टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 80-सी (u/s 80-C of I-T Tax Act, 1961) के तहत टर्म इंश्योरेंस के लिए दिए गए प्रीमियम पर एक और कटौती के दावे के हकदार होंगे. (ये चेक करें प्लीज)
अब अगर निवेश की बात करें तो, जल्दी शुरूआत करने से आपको कंपाउंडिंग की ताकत का अंदाजा हो जाएगा. आप जितनी जल्दी म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करेंगे, उतना ही बेहतर होगा. जैसे अगर आप अगले 20 सालों के लिए 10,000 रुपये हर महीने निवेश करते हैं तो आपको 15% सालाना रिटर्न पर 1.5 करोड़ रुपये की रकम जमा करने में मदद मिल सकती है. जबकि इसी निवेश में पांच साल की देरी करने से आपको इसी योजना में 15 साल बाद केवल 67 लाख रुपये ही मिलेंगे.
शुरूआत करने के लिए, आप 3-4 लार्ज कैप (large cap) और फ्लेक्सी कैप (flexi cap ) इक्विटी फंड (equity funds) में 10,000 रुपये महीना एसआईपी (SIPs) में निवेश करना शुरू करें. एमएफ एसआईपी (MF SIPs ) कम से कम पैसे के खर्च में स्कीम से एंट्री और एक्जिट का ऑपशन देती हैं और इसलिए ये सबसे पसंद किया जाने वाला निवेश का तरीका माना गया है. अब जैसे-जैसे आप अपने करियर में आगे बढ़ते हैं, एसआईपी (SIPs) में निवेश बढ़ाएं जिससे ज्यादा पैसे निवेश करने पर आप ज्यादा रिटर्न की उम्मीद रख सकते हैं. साथ ही पीपीएफ खाते (PPF ) में नियमित रूप से एक लंबे समय के लिए निवेश करें ताकि रिटायर होने पर आपको एक बड़ी टैक्स फ्री रकम (guaranteed tax-free returns) मिल सके. 3 साल में एक बार अपने पोर्टफोलियो (portfolio ) की समीक्षा जरुर करें और बढ़िया सी फाइनेंशियल प्लानिंग (financial planning) के लिए किसी फाइनेंशियल एडवाइजर (financial advisor) की मदद जरूर लें.